Diwali Bonus: भारत में कैसे शुरू हुई ‘दिवाली बोनस’ की परंपरा, किसने की थी इन खुशियों की शुरुआत?

Diwali Bonus History: दिवाली बोनस की परंपरा कई सालों से चली आ रही है. भारत में इसे कानूनी तौर पर जरुरी कर दिया है. लेकिन क्या आप जानते हैं इस तोहफे की शुरूआत आखिर किसने और कब की?

Published by Preeti Rajput

Diwali Bonus History: दिवाली का त्योहार (Diwali Bonus) हर किसी के लिए बेहद खास होता है. भारत में कर्मचारियों के लिए भी दिवाली खुशखबरी लेकर आती है. भारत में सालों से दिवाली बोनस की परंपरा चल रही है. यह परंपरा कर्मचारियों की खुशियों को और भी ज्यादा बढ़ा देती है. क्योंकि इस दौरान कर्मचारियों को सैलरी के साथ अतिरिक्त भुगतान या फिर गिफ्ट दिए जाते हैं. यह परंपरा इसलिए शुरू की गई है क्योंकि दिवाली के दौरान परिवार के खर्चे काफी ज्यादा बढ़ जाते हैं. परिवार त्योहार के लिए नए कपड़े, मिठाई और जरुरत की चीजें खरीदता है, जिससे खर्चा काफी ज्यादा हो जाता है. इस परंपरा से सरकार का मकसद इतना ही है कि इस फेस्टिव सीजन (Festive Season) में सभी कर्मचारी राहत महसूस करें. 

कब शुरू हुआ दिवाली बोनस की परंपरा?

भारत में दिवाली बोनस (Diwali Bonus History) की परंपरा 1940 में शुरु की गई थी. उस समय कर्मचारियों को सालाना 52 हफ्तों के वेतन दिया जाता था. लेकिन फिर अचानक से इसे 48 हफ्तों में बदल दिया गया. इस बदलाव के खिलाफ कर्मचारियों ने खूब विरोध किया. सरकार ने कर्मचारियों को शांत करने के लिए दिवाली बोनस देने का एलान किया था. तभी से यह परंपरा आज तक भारत में चली आ रही है. ताकी कर्मचारियों पर किसी तरह का बोझ न पड़े. 

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पेमेंट ऑफ बोनस एक्ट (Payment Of Bonus Act)

1965 में भारत सरकार ने पेमेंट ऑफ बोनस एक्ट (Payment Of Bonus Act)पारित किया. जिसके तहत कंपनियों को अपने कर्मचारियों को मुनाफे का कम से कम 8.33% बोनस जरुरी है. यह बोनस कर्मचारियों के साथ-साथ कंपनी के लाभ को देखते हुए निर्धारित किया जाएगा. सेंट्रल गवर्नमेंट (Central Goverment) के कर्मचारियों को एड-हॉक या नॉन प्रोडक्टिविटी लिंक्ड बोनस (Non Productivity Linked Bonus) दिया जाता है. जो पूरे 30 दिन की सैलरी जितना होता है.

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