Hindi proverb with meaning: “हाथ कंगन को आरसी” इस मुहावरे को तो आपने काफी बार सुना होगा, जिसका सीधा मतलब है प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं है. अगर साफ शब्दों में कहा जाए तो, कंगन को देखने के लिए शीशे की क्या ज़रूरत है ?
मुहावरे का शाब्दिक और अर्थ
यह मुहावरा दो शब्दों पर आधारित है, पहला ‘कंगन’ (हाथ में पहना जाने वाला आभूषण) और ‘आरसी’ (दर्पण और शीशा)
शाब्दिक अर्थ (Literal Meaning):
हाथ में पहले से ही पहने हुए कंगन को देखने या फिर उसकी जांच करने के लिए किसी दर्पण और शीशे की आखिर क्या आवश्यकता है ? कंगन तो हाथ में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है.
लाक्षणिक अर्थ (Figurative Meaning):
जब कोई बात, या वास्तविकता बिल्कुल स्पष्ट, ज़ाहिर और आंखों के सामने हो, तो उसे सिद्ध (prove) करने के लिए किसी अतिरिक्त सबूत और प्रमाण की कोई ज़रूरत नहीं होती है.
अर्थ का विस्तार:
यह लोकोक्ति उन स्थितियों पर लागू होती है जहां सच्चाई इतनी पारदर्शी होती है कि उसे छिपाना पूरी तरह से असंभव हो जाता है. यह बताता है कि वास्तविकता को अनावश्यक रूप से साबित करने की कोशिश करना समय की एक तरह से बर्बादी है.
उदाहरण के रूप में:
अगर कोई छात्र परीक्षा में प्रथम स्थान पर आता है और उसका रिपोर्ट कार्ड सामने है, तो कोई दूसरा व्यक्ति कह सकता है, “उसकी मेहनत और परिणाम तो सबके सामने हैं, हाथ कंगन को आरसी क्या !” जिसका सीधा-सीधा मतलब उसकी सफलता का प्रमाण उसके अंकों में ही है, उसे किसी और तर्क की ज़रूरत नहीं है.
यह मुहावरा सत्य और स्पष्टता के महत्व को दर्शाती है, यह बताती है कि जो दिख रहा है, वही सच है और उसे साबित करने की किसी प्रकार की कोई आवश्यकता नहीं है.

