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संघर्ष से टीवी सीरियल और फिर संसद तक का अनोखा सफर, इस अदाकारा की कहानी सुनकर रह जाएंगे हैरान

एक ऐसी अदाकारी की कहानी, जिन्होंने टीवी के साथ-साथ राजनीति में भी अपना कदम रखा और फिर कभी दोबारा मुड़कर पीछे नहीं देखा.

By: DARSHNA DEEP | Published: September 15, 2025 3:08:27 PM IST



SMRITI IRANI: अभिनेत्री से राजनेता बनीं स्मृति ईरानी, जिन्हें क्योंकि सास भी कभी बहू थीमें अपने किरदार तुलसी के लिए घर-घर में जाना जाता है, उन्होंने हाल ही में अपने जीवन के संघर्षों और राजनीतिक सफर के बारे में खुलकर बातचीत की है. बॉलीवुड एक्ट्रेस सोहा अली खान के पॉडकास्ट ऑल अबाउट हरमें उन्होंने अपने शुरुआती दिनों, और उनके पिता द्वारा रखी गई एक अनोखी शर्त और समाज की आलोचनाओं का खुलकर जिक्र किया है.

स्मृति ईरानी की शुरुआती दिनों की कहानी

पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने पॉडकास्ट में बताया कि कैसे एक समय में लोग उन्हें “पार्ट-टाइम नेता और फुल-टाइम एक्टर” कहकर उनका जमकर मजाक उड़ाया करते थे. उनके शुरुआती दिनों की कहानी यह दर्शाती है कि कैसे उन्होंने हर बाधा को पार करते हुए एक साधारण लड़की से एक शक्तिशाली महिला तक का सफर तय किया है.

घटिया अदाकारा का मिला था टैग

टीवी के बड़े पर्दे पर तुलसी के रूप में उन्हें जो लोकप्रियता मिली, वह उनके शुरुआती दिनों के संघर्षों पर पर्दा नहीं डाल सकी. आज भी स्मृति ईरानी को लोग तुलसी के नाम से जानते हैं. स्मृति ईरानी ने याद किया कि कैसे करियर की शुरुआत में उन्हें लगातार नकारात्मक टिप्पणियों का सामना करना पड़ता था. उन्होंने बताया कि शुरुआती दौर में वो जहां भी जाती थी, लोग कहते थे कि तुम एक घटिया अदाकारा हो.

लोगों की आलोचना से परेशान थीं तुलसी

प्रतिदिन मिल रही लोगों की आलोचनाओं ने उनको अंदर से तोड़ कर रख दिया था. इतना ही नहीं रोजाना मिल रहे लोगों के तानें सुनकर उनका आत्मविश्वास कम होने लगाया था. इतना सब कुछ होने के बाद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी. उन्होंने बताया कि शुरुआदी दौर में पुरुष कलाकारों को उनसे ज्यादा पैसे मिलते थे. आज, जब वह अपने अतीत को देखती हैं, तो सबसे पहले अपने उस समय के खुद को एक ही सलाह देती हैं: “ज्यादा तनख्वाह पाओ”.

पिता से पूछा था गहरा सवाल

स्मृति ईरानी की यात्रा का एक सबसे प्रेरणादायक किस्सा उनके पिता से जुड़ा है. उन्होंने बताया कि कैसे एक दिन उन्होंने अपने पिता से एक बहुत ही गहरा सवाल पूछा था. उन्होंने कहा, “मैं अपनी बाकी जिंदगी किसी की पत्नी बनकर जीने वाली हूं. 17 साल आपकी बेटी बनकर, मुझे अपने लिए जीने का मौका कब मिलेगा?

पिता की अनोखी शर्त: एक साल का अल्टीमेटम

उनके पिता ने इस पर एक अनोखी शर्त रखी. स्मृति ईरानी बताती हैं कि उनकी पहली नौकरी दिल्ली के जनपथ में थी जिसमें उन्हें केवल 200 रुपए मिलते थे. अपने सपनों को पूरा करने के लिए उन्होंने पिता से पैसे उधार लिए थे. जिसपर उनके पिता ने कहा कि मैं तुम्हें एक साल का समय देता हूं और अगर तुम मुझे पैसे नहीं दे सकती, तो मैं जिससे भी कहूं, उससे शादी कर लेना.”

इस एक साल के अल्टीमेटम ने उनके भीतर कुछ करने की ऊर्जा जला दी, जिसने उन्हें हार न मानने के लिए प्रेरित किया.

राजनीति में प्रवेश और मिली पहचान

जब उन्होंने अभिनय के साथ-साथ राजनीति में कदम रखा, तो उन्हें एक और तरह के संघर्ष का सामना करना पड़ा. लोग उन्हें “पार्ट-टाइम नेता और फुल-टाइम एक्टर” कहते थे. उन्होंने साल 2004 में महज 27 साल की उम्र में अपना पहला चुनाव लड़ा. उन्होंने स्वीकार किया कि उनके पास कठोर राजनीति को समझने के लिए न तो कोई औपचारिक शिक्षा थी और न ही कोई अकादमिक अनुभव.

संघर्ष से सफलता तक का सफर

स्मृति ईरानी का जीवन से ऐसी कई सारी चीजें हम सीख सकते हैं. उनकी संघर्ष भरी कहानी से आज भी बहुत सारे लोगों को प्रेरणा मिलती है. केवल 200 रुपए की दैनिक मजदूरी से लेकर देश के एक महत्वपूर्ण मंत्री बनने तक का सफर उनके लिए बेहद चुनौतीपूर्ण रहा. स्मृति ईरानी आज भी कई लोगों के लिए एक रोल मॉडल के रूप में काम करती हैं.

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