POSCO Act and Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट ने POCSO यानी (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम) से जुड़े एक मामले में महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा कि “दोस्ती किसी के साथ बार-बार रेप करने और पीटने का लाइसेंस नहीं देती है.” जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने एक शख्स की अग्रिम ज़मानत जिससे (Anticipatory Bail) भी कहा जाता है, याचिका खारिज करते हुए यह सख्त टिप्पणी दी है. आरोपी ने अपनी अग्रिम जमानत अर्जी में यह दावा किया था कि उसके और नाबालिग पीड़िता के बीच संबंध आपसी सहमति से बने थे, क्योंकि वे दोनों आपस में काफी अच्छ दोस्त की तरह रहा करते थे.
अपने दावे से पलटी नाबालिग:
17 साल की नाबालिग युवती ने अपनी शिकायत में आरोपी के दावे के ठीक विपरीत बात कही है. नाबालिग ने जानकारी देते हुए बताया कि वह आरोपी को सिर्फ पड़ोसी होने के नाते कई सालों से जानती थी. इसके अलावा शिकायत के मुताबिक, आरोपी उसे अपने दोस्त के घर ले जाया करता था, जहां उसने उसके साथ बेरहमी से मारपीट भी की और कई बार यौन शोषण करने का प्रयास भी किया.
पीड़िता ने क्यों नहीं कराई शिकायत दर्ज?:
इसके अलावा पीड़िता ने यह भी बताया कि डर और भय की वजह से वह युवक के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं करा सकी. साथ ही मेडिकल जांच कराने में भी उसे डर महसूस होता था. पीड़िता के शिकायत के आधार पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता 2023 की धाराओं और POCSO एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की थी.
मामले में क्या कहती है दिल्ली हाई कोर्ट:
दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में आरोपी के ‘सहमति से संबंध’ के तर्क को खारिज करते हुए यह स्पष्ट कर किया कि किसी महिला से दोस्ती होना आरोपी को पीड़ित के साथ बार-बार बलात्कार करने और उसे बेरहमी से पीटने का लाइसेंस नहीं देता है. फिलहाल, कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपी की अग्रिम ज़मानत याचिका को पूरी तरह से खारिज कर दिया है.