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दिल्ली कोर्ट का तंज भरा फैसला! ‘बीवियां कई बार बढ़ा-चढ़ा कर करती हैं दावे’, भत्ता याचिका खारिज

Delhi News: महिला की अंतरिम भरण-पोषण याचिका को खारिज करते हुए दिल्ली की अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में पत्नियां बढ़ा-चढ़ाकर दावे करती हैं जबकि पति अपनी आय छुपाता है. जानिये पूरा मामला?

By: Mohammad Nematullah | Last Updated: October 28, 2025 8:19:08 PM IST



Dehi News: दिल्ली की एक अदालत ने वैवाहिक विवादों की कड़वी सच्चाई पर तीखी कमेंट की है. अदालत ने साफ कहा कि पति पत्नी दोनों ही अपनी बातें बढ़ा चढ़ाकर बताते है. पत्नी खर्चें और कठिनाइया को बढ़ा-चढ़ाकर बताती है. जबकि पति अपनी आय कम बताने की कोशिश करता है. इस टिप्पणी के साथ दिल्ली की एक अदालत ने एक महिला की अंतरिम गुजारा भत्ता की याचिका खारिज कर दी. महिला ने दावा किया कि उसकी कोई आय नहीं है और उसे हर महीने काफी खर्च करना पड़ता है. हालांकि अदालत को उसके दावों में विसंगतियां मिलीं. ऐसा लग रहा था कि उसके बैंक खाते में पैसा आ रहा है. लेकिन उसका कोई हिसाब नहीं था. उसके पास पर्याप्त योग्यता और अनुभव था. इसलिए अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि वह अपना गुज़ारा खुद कर सकती है.

पत्नी के दावे, लेकिन सबूत गायब

अदालत के अनुसार महिला कानून स्नातक है और दिल्ली महिला आयोग में काम कर चुकी है. यह साबित नही हुआ है कि वह अब काम करने में असमर्थ है. बच्चों की कोई जिम्मेदारी नही और बीमारी की कोई रिपोर्ट नही है. अदालत ने सख्ती से कहा कि बिना सबूत के खर्चें का रोना रोने से कोई अधिकार नही मिलता. 30000 रूपये के मासिक खर्च का दावा किया था. लेकिन पर्चियां और रसीद जीरो थी. बैंक खाते में कई जमाये की गई लेकिन उसका भी कोई जवाब नही मिला है.

लेकिन सच्चाई का पता कैसे लगाया जाए?

अदालत ने यह भी माना कि ऐसे मामलों में पति अपनी आय कम बताता है. इसका मतलब है कि दोनों पक्ष धोखे का खेल खेलते है. लेकिन सबूतों की दुनिया में दावे नहीं बल्कि दस्तावेज मायने रखते है. इस मामले में पत्नी के दावे लड़खड़ा रहे थे.

अगर बच्चे नहीं हैं?

अदालत ने कहा ऐसी कोई ज़िम्मेदारी नहीं है जो उसे काम करने से रोके. वह एक शिक्षित और अनुभवी महिला है. बेरोजगारी का कोई बड़ा कारण नहीं है.अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह वर्तमान में अपना गुज़ारा करने में सक्षम है. इसलिए उसके पति पर गुजारा भत्ता का बोझ डालना उचित नहीं है.

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