Home > दिल्ली > Delhi News: फर्जी स्टिकर से लेकर स्पाई कैमरा तक…दिल्ली में डबल माफिया गिरोह का भंडाफोड़; पुलिसकर्मियों को कर रहे थे ब्लैकमेल

Delhi News: फर्जी स्टिकर से लेकर स्पाई कैमरा तक…दिल्ली में डबल माफिया गिरोह का भंडाफोड़; पुलिसकर्मियों को कर रहे थे ब्लैकमेल

Delhi Crime News: जांच के दौरान पाया गया कि इनका नेटवर्क राजधानी के ट्रैफिक सिस्टम और कमर्शियल ट्रांसपोर्टेशन को निशाना बनाकर करोड़ों रुपये की संगठित उगाही कर रहा था.

By: Shubahm Srivastava | Published: December 11, 2025 12:40:17 AM IST



Delhi Extortion Racket Busted: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने राजधानी में चल रहे दो संगठित आपराधिक गिरोहों को बेनकाब करते हुए पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि दो की तलाश जारी है. पुलिस के अनुसार, दोनों सिंडिकेट भले ही अलग-अलग तरीके से काम करते थे, लेकिन उनके फाइनेंशियल पैटर्न और कम्युनिकेशन चैनल एक-दूसरे से जुड़े थे. जांच के दौरान पाया गया कि इनका नेटवर्क राजधानी के ट्रैफिक सिस्टम और कमर्शियल ट्रांसपोर्टेशन को निशाना बनाकर करोड़ों रुपये की संगठित उगाही कर रहा था.

जानबूझकर ड्राइवर तोड़ते थे ट्रैफिक नियम

पहले सिंडिकेट का मास्टरमाइंड राजकुमार उर्फ राजू मीणा है, जिसके खिलाफ MCOCA के तहत केस दर्ज किया गया है. उसका नेटवर्क वर्षों से ट्रैफिक पुलिस को फंसाकर उगाही करने का खेल चला रहा था. 2015 से वह साथियों को भर्ती कर एक ऐसी व्यवस्था बना चुका था, जिसमें जानबूझकर ड्राइवरों को ट्रैफिक नियम तोड़ने भेजा जाता था, उनके स्पाई कैमरे से वीडियो रिकॉर्ड कर पुलिसकर्मियों के खिलाफ एडिटेड फुटेज तैयार किए जाते और फिर उन्हें ब्लैकमेल कर पैसे वसूले जाते थे.

हजारों की संख्या में नकली ‘पास स्टिकर’ किए तैयार

दूसरी ओर, दूसरे सिंडिकेट का मास्टरमाइंड जीशान अली था, जिसने दिल्ली की ट्रांसपोर्ट लाइनों पर एक समानांतर अवैध सिस्टम स्थापित कर दिया था. जीशान की टीम हजारों की संख्या में नकली ‘पास स्टिकर’ तैयार करती थी, जिन्हें लगाकर कमर्शियल गाड़ियां पाबंदी वाले समय में भी आराम से शहर में घूम सकती थीं. हर महीने स्टिकर का डिज़ाइन, रंग और फोन नंबर बदल दिए जाते ताकि उसका रैकेट पकड़ में न आए. ड्राइवरों को यह भी कहा जाता था कि पुलिस रोके तो ‘कनेक्शन’ का हवाला देकर दबदबा दिखाएं.

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इन लोगों की हुई गिरफ्तारी

गिरफ्तार आरोपियों में चंदन कुमार चौधरी, दिलीप कुमार और दीना नाथ चौधरी शामिल हैं. चंदन स्टिकर वितरण और पैसों के लेनदेन का संचालन करता था, जबकि दिलीप रियल-टाइम में पुलिस की मूवमेंट की सूचना देता था. दीना नाथ ड्राइवरों के लिए एक अलग सोशल मीडिया नेटवर्क चलाता था और हर महीने 150–200 फर्जी स्टिकर बेचता था.

छापेमारी में पुलिस को क्या कुछ मिला?

जीशान के ठिकानों पर छापेमारी के दौरान पुलिस ने 1,200–1,300 नकली स्टिकर, दो रबर स्टैम्प, एक लाइसेंसी वेबली पिस्टल, पांच जिंदा कारतूस, एक SUV, स्पाई कैमरा, कंप्यूटर और कई मोबाइल फोन बरामद किए. इन बरामदगी से इस पूरे नेटवर्क की गहराई और संगठित ढांचा साफ हो गया.

ऐसे हुआ पूरे रैकेट का खुलासा

पूरे रैकेट का खुलासा तब हुआ जब बदरपुर में एक LGV ड्राइवर ने फर्जी स्टिकर दिखाकर पुलिस को भ्रमित करने की कोशिश की. सोशल मीडिया ग्रुप और फोन डेटा की पड़ताल में पता चला कि यह सिंडिकेट हर वाहन से 2,000 से 5,000 रुपये मासिक उगाही करता था. इसके साथ ही ट्रैफिक पुलिस पर झूठी शिकायतें दर्ज कराकर उन्हें ब्लैकमेल करने की समानांतर व्यवस्था भी चल रही थी.

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