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साहेबगंज में सियासी तापमान चरम पर; जनता बोले अबकी बार विकास सरकार

Bihar Election 2025: इस बार के चुनाव में साहेबगंज सीट पर भाजपा और महागठबंधन आमने-सामने हैं, जनता अब पुराने वादों से आगे बढ़कर ठोस विकास की उम्मीद कर रही है. अब तक के विजेताओ की सूची भी देखें.

By: Team InKhabar | Last Updated: October 29, 2025 7:03:10 PM IST



Bihar Election 2025: मुजफ्फरपुर ज़िले की साहेबगंज विधानसभा सीट बिहार की राजनीति में हमेशा से खास रही है. यह इलाका बाया नदी के किनारे बसा है और इसकी सीमाएं उत्तर में पूर्वी चंपारण के मेहसी और कल्याणपुर से और दक्षिण में गोपालगंज के बैकुंठपुर से लगती हैं. यहां 2020 की मतदाता सूची के अनुसार कुल 3,08,120 मतदाता हैं.

क्या है मांगें और मुख्य समुदाय 

साहेबगंज की जनता की मांगें वर्षों से लगभग एक जैसी बनी हुई हैं. फतेहाबाद में गंडक नदी पर पुल और ईशा छपरा घाट में बाया नदी पर पुल निर्माण की मांग सबसे पुरानी है. इसके अलावा पेयजल,सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी भी स्थानीय लोगों के लिए बड़ी चिंता का विषय है. इस विधानसभा क्षेत्र की राजनीति पूरी तरह जातीय समीकरणों पर निर्भर करती है. यहां राजपूत, यादव, मुस्लिम और भूमिहार मतदाताओं की संख्या अधिक है, जो हर चुनाव में नतीजे को प्रभावित करते हैं. इनके अलावा निषाद,वैश्य और अन्य पिछड़ी जातियों के वोट भी अच्छी भूमिका निभाते हैं.

कई वर्षों से दो नेताओं के बीच सीधी टक्कर

साहेबगंज का चुनावी इतिहास पिछले कई वर्षों से दो नेताओं के बीच सीधी टक्कर का गवाह रहा है. राजू कुमार सिंह और रामविचार राय. 2020 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन VIP उम्मीदवार राजू कुमार सिंह ने राजद के रामविचार राय को 15,333 वोटों से हराया था. राजू सिंह को 81,203 और रामविचार राय को 65,870 वोट मिले थे. इसके बाद राजू सिंह भाजपा में शामिल हो गए. 2015 में राजद के रामविचार राय ने जीत दर्ज की थी, जबकि 2010 में राजू कुमार सिंह ने जदयू के टिकट पर जीत हासिल की थी. इन नतीजों से साफ है कि यहां हर चुनाव में मुकाबला इन्हीं दो नेताओं के बीच होता आया है.वर्तमान में भाजपा विधायक राजू कुमार सिंह फिर से चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं. महागठबंधन की ओर से पृथ्वी राय भी अपनी रणनीतियों से लैस होकर उतर चुके हैं

इस बार जनता किसे मौका देगी?

साहेबगंज के मतदाता इस बार विकास को लेकर और ज़्यादा उम्मीद लगाए बैठे हैं. पुल, अस्पताल और रोज़गार जैसे मुद्दे अभी भी अधूरे हैं. आने वाले चुनाव में एक बार फिर राजपूत, यादव और मुस्लिम वोट ही चुनावी समीकरण तय करेंगे. अब देखना यह होगा कि जनता इस बार किसे मौका देती है? भाजपा के राजू सिंह को या महागठबंधन के उम्मीदवार को.

क्या चाहती है यहां की जनता 

साहेबगंज विधानसभा सीट बिहार की राजनीति का एक अहम संकेतक बन चुकी है. यहां की जनता अब विकास चाहती है, लेकिन सियासी जंग आज भी जातीय संतुलन और पुराने समीकरणों के इर्द-गिर्द घूमती है. आने वाले चुनाव में यही तय होगा कि साहेबगंज की दिशा किस ओर जाएगी.मुजफ्फरपुर जिले की कुल 11 विधानसभा सीटों में से कांटी, मीनापुर, गायघाट और बोचहा पर राजद का कब्जा है. सकरा सीट जदयू के पास है और मुजफ्फरपुर नगर से कांग्रेस जीती थी, जबकि कुढ़नी, औराई, बरुराज, पारू और साहेबगंज सीटें फिलहाल भाजपा के पास हैं.

विजेताओं की सूची

1952: ब्रजनंदन प्रसाद सिंह  (कांग्रेस)
1962: चन्दु राम  (कांग्रेस)
1967: नवल किशोर सिंह  (कांग्रेस)
1969: यदुनाथ सिंह  (स्वतंत्र)
1972: शिव नारायण सिंह  (कांग्रेस)
1977: भाग्य नारायण राय  (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी)
1980: नवल किशोर सिंह  (कांग्रेस)
1982: शिव नारायण सिंह  (कांग्रेस)
1985: शिव नारायण सिंह  (कांग्रेस)
1990: राम विचार राय  (जनता दल)
1995: राम विचार राय  (जनता दल)
2000: राम विचार राय  (राष्ट्रीय जनता दल)
2005: राजू कुमार सिंह  (लोक जनशक्ति पार्टी)
2005: राजू कुमार सिंह  (जनता दल यूनाइटेड)
2010: राजू कुमार सिंह  (जनता दल यूनाइटेड)
2015: राम विचार राय  (राष्ट्रीय जनता दल)
2020: राजू कुमार सिंह  (भारतीय जनता पार्टी)

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