हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या का मामला अब केवल हरियाणा तक सीमित नहीं रहा। यह विवाद और संवेदनशीलता बिहार तक पहुंच चुकी है, जहां सांसद चिराग पासवान ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को पत्र लिखकर निष्पक्ष, उच्चस्तरीय और समयबद्ध जांच की मांग की है. सांसद का पत्र यह संदेश देता है कि मानसिक प्रताड़ना और जातिगत भेदभाव जैसे गंभीर मुद्दों की जांच में प्रशासनिक मर्यादा और कानून का सम्मान सर्वोपरि होना चाहिए.
चिराग पासवान ने अपने पत्र में लिखा
माननीय श्री नायब सिंह सैनी जी,
विषयः वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी श्री वाई. पूरन कुमार जी की आत्महत्या प्रकरण की निष्पक्ष, उच्चस्तरीय एवं समयबद्ध जांच कराए जाने के संबंध में.
महोदय, विदित हो कि दिनांक 7 अक्टूबर, 2025 को हरियाणा कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी श्री वाई. पूरन कुमार जी द्वारा चंडीगढ़ स्थित अपने सरकारी आवास में आत्महत्या कर लेने की अत्यंत दुःखद और चिंताजनक खबर ने पूरे प्रशासनिक तंत्र और समाज को झकझोर दिया है.
यह केवल एक अधिकारी की आत्महत्या नहीं, बल्कि हमारे प्रशासनिक ढांचे में व्याप्त मानसिक और जातिगत उत्पीडन का भयावह संकेत है जो आज भी समाज में जहर की तरह फैला हुआ है.
यह तथ्य और भी पीड़ादायक है कि एक उच्च पदस्थ अधिकारी, जिसने अपना पूरा जीवन कानून, अनुशासन और सेवा में समर्पित किया, उसे अंततः इस अमानवीय व्यवस्था के आगे झुकना पड़ा. उनके सुसाइड नोट में लिखे शब्द हमारे पूरे प्रशासनिक तंत्र की आत्मा को झकझोर देने वाले हैं. यह केवल हरियाणा की नहीं, बल्कि पूरे देश की प्रतिष्ठा और संवैधानिक मर्यादा से जुड़ा मामला है. आज भी यदि किसी अधिकारी को उसकी जाति, विचारधारा या ईमानदारी के कारण मानसिक रूप से प्रताड़ित होना पड़े, तो यह न केवल निंदनीय बल्कि संविधान की आत्मा पर चोट है.
यह घटना किसी राजनीतिक या प्रशासनिक बहस का विषय नहीं, बल्कि मानवता, न्याय और समानता के मूल्यों की परीक्षा है. इस मामले में सख्त, पारदर्शी और निर्भीक कार्रवाई पूरे देश में यह संदेश देगी कि कानून से ऊपर कोई नहीं है- न पद, न प्रतिष्ठा, न प्रभाव.
ऐसे संवेदनशील मामलों में निष्पक्ष कार्रवाई न केवल एक अधिकारी के प्रति न्याय सुनिश्चित करेगी, बल्कि यह संदेश भी देगी कि हरियाणा सरकार अपने प्रशासनिक अधिकारियों की गरिमा, सुरक्षा और सम्मान की रक्षा के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है एवं इस प्रकरण में किसी को भी बख्शा नहीं जाना चाहिए, चाहे वह कितना भी बड़ा पद या प्रभावशाली स्थिति क्यों न रखता हो.
आशा है कि आप इस गंभीर विषय को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए न्याय के इस संघर्ष में सकारात्मक एवं दृढ़ भूमिका निभाते हुए पीड़ित परिवार को न्याय दिलवाने की कृपा करेंगे.
IPS पूरन के परिवार को किससे है खतरा? सुसाइड नोट में दर्जनों वरिष्ठ अधिकारियों पर गंभीर आरोप!

