Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की चुनावी जंग पूरी तरह से तय हो चुकी है. 6 नवंबर को 18 जिलों की 121 सीटों के लिए मतदान होगा और 3.75 करोड़ से ज्यादा मतदाता 1314 उम्मीदवार जिसमें 122 महिला शामिल है. इस चरण का महत्व इस बात से और भी बढ़ जाता है कि नीतीश कुमार के लगभग आधे मंत्रिमंडल के कामकाज की परीक्षा इसी चरण में होगी. चुनाव के पहले चरण को राज्य के दोनों प्रमुख गठबंधन के लिए एक राजनीतिक मोड़ माना जा रहा है. क्योंकि एनडीए और भारत गठबंधन के बीच सीधा राजनीतिक टकराव उभर रहा है.
पहले चरण के राजनीतिक समीकरण
महागठबंधन (India ब्लॉक) में राजद 72 सीटों कांग्रेस 24 और वामपंथी दल 14 सीटों पर चुनाव लड़ रहे है. एनडीए (भाजपा-जदयू गठबंधन) की ओर से जदयू ने 57 सीटों पर भाजपा ने 48 सीटों पर लोजपा (रामविलास) ने 13 सीटों पर और रालोद (उपेंद्र कुशवाहा) ने 2 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे है. इसके अलावा हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) 1 सीट पर चुनाव लड़ रही है.
तीसरी ताकतें भी पहले चरण में अपनी छाप छोड़ रही
मुख्य मुकाबले के अलावा एक तीसरी राजनीतिक धुरी भी तेज़ी से उभर रही है. असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM पहले चरण में 8 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. जबकि चंद्रशेखर आज़ाद की आज़ाद समाज पार्टी और स्वामी प्रसाद मौर्य की संगठन पार्टी ने भी अपने उम्मीदवार उतारे है. प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी इस चरण में 119 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. जिससे लगभग हर सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय हो गया है.
कैसा था 2020 का?
गौरतलब है कि महागठबंधन ने इन 121 सीटों में से 61 सीटें जीतीं जबकि एनडीए ने 59 सीटें जीती. यानी मुकाबला लगभग बराबरी का था. लोजपा ने अकेले चुनाव लड़ा और सिर्फ़ एक सीट जीत पाई. गौरतलब है कि राजद ने सबसे ज़्यादा 42 सीटें जीती जबकि भाजपा ने 32 सीटें जीती. जदयू ने भी 27 सीटें जीतकर उल्लेखनीय प्रदर्शन किया. वीआईपी ने चार और कांग्रेस ने दो सीटें जीती. यह चरण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए बेहद अहम माना जा रहा है. 2020 में उनकी पार्टी के जीते 43 विधायकों में से 23 इसी पहले चरण से चुने गए थे. यानी जेडीयू की आधी से ज़्यादा राजनीतिक ताकत इसी से आती है. अब जबकि नीतीश 20 साल के शासन की सत्ता-विरोधी लहर और नई पीढ़ी की आकांक्षाओं का सामना कर रहे है. यह चरण उनके राजनीतिक अस्तित्व की परीक्षा बन गया है.
तेजस्वी यादव के लिए ‘प्रतिष्ठा का दौर’
यह चरण तेजस्वी यादव और महागठबंधन के लिए भी अहम है. पिछली बार लड़ी गई 121 सीटों में से 61 सीटें इंडिया ब्लॉक के खाते में गई थी. अब सीटों के बंटवारे को लेकर महागठबंधन के भीतर सहयोगियों के बीच असंतोष और कई क्षेत्रों (छह सीटों सहित) में “दोस्ताना लड़ाई” के साथ यह चरण तेजस्वी की रणनीति और उनके प्रभाव दोनों की परीक्षा होगी.

