Bihar Vidhan Sabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में BJP और JDU बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेगा. ऐसा इससे पहले कभी नहीं हुआ. नीतीश कुमार की जदयू हमेशा से ‘बड़े भाई’ की भूमिका निभाती रही है और सीटों के बंटवारे में जदयू ने हमेशा भाजपा से ज़्यादा सीटें जीती है. हालांकि 2025 में स्थिति बराबरी की हो गई है. राजनीतिक जानकार इसे भाजपा की मनोवैज्ञानिक जीत मान रहे है. केंद्रीय मंत्री और भाजपा के बिहार चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने रविवार को सीटों के बंटवारे की घोषणा की. इस बार भाजपा और जदयू 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगा.
20 साल में ऐसा पहली बार हुआ
2005 में राष्ट्रीय जनता दल के नेतृत्व वाली सरकार के 15 साल के शासन के अंत के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव है. जिसमें नीतीश कुमार के नेतृत्व वाला जनता दल (यूनाइटेड) चुनावी गठबंधन के तहत भाजपा से ज़्यादा सीटों पर चुनाव नहीं लड़ेगा. यह सत्तारूढ़ गठबंधन में भाजपा के बढ़ते प्रभाव को जदयू द्वारा स्वीकार किए जाने का स्पष्ट संकेत है. 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य में जदयू से एक सीट अधिक पर चुनाव लड़ा, जो भी पहली बार हुआ.
5 साल पहले BJP और JDU के बीच का अंतर
2020 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जदयू ने 115 सीटों पर और भाजपा ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा था. जबकि चिराग पासवान की पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ा. कड़े मुकाबले वाले चुनाव में एनडीए ने 125 सीटें जीतीं, जबकि महागठबंधन को 110 सीटें मिलीं. 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा के लिए 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में मतदान होगा. मतगणना 14 नवंबर को होगी.
चिराग पासवान ने सीटों के बंटवारे में जीत हासिल की
इस बीच केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) 29 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी. भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक शुरू होने के बाद धर्मेंद्र प्रधान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में बताया कि केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) 6-6 सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगी. भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हैं.
मांझी और कुशवाहा को 6-6 सीटें
धर्मेंद्र प्रधान ने दावा किया कि एनडीए के सभी सहयोगियों ने सौहार्दपूर्ण ढंग से सीट बंटवारे की प्रक्रिया पूरी कर ली है. उन्होंने कहा कि एनडीए के सभी दलों के नेता और कार्यकर्ता इस फैसले का खुशी-खुशी स्वागत करते हैं. बिहार एक और एनडीए सरकार के लिए तैयार है. चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा ने भी धर्मेंद्र प्रधान के संदेश का समर्थन किया. जीतन राम मांझी की पार्टी को सीटों का आवंटन उनके सार्वजनिक रुख से काफी कम है. बाद में मांझी ने संवाददाताओं से कहा कि वह भाजपा नेतृत्व के फैसले को स्वीकार करेंगे. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी को कम करके आंका गया है. जिसका एनडीए पर असर पड़ सकता है. सीट बंटवारे की बातचीत के दौरान पासवान, मांझी और कुशवाहा जैसे सहयोगियों ने कभी नरम तो कभी कड़ा रुख अपनाया. ऐसा प्रतीत होता है कि चिराग पासवान ने भाजपा को अपनी पार्टी को अधिक सीटें देने के लिए राजी कर लिया, जिससे उन्हें 29 सीटें मिलीं. मांझी और कुशवाहा को 6-6 सीटों से ही संतोष करना पड़ा.