Seat Samikaran: बिहार में चुनावी सरगर्मी चरम पर है. चुनाव आयोग अक्टूबर में किसी भी समय चुनाव की तारीखों की घोषणा कर सकता है. बिहार में सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. चुनावी तैयारियों के बीच, सभी का ध्यान सीटों के बंटवारे पर टिका है. इसी संदर्भ में, इस रिपोर्ट में, हम बेलागंज (belaganj) सीट पर चर्चा करेंगे और इसके इतिहास के बारे में जानेंगे.
बेलागंज सीट की बात करें और सुरेंद्र प्रसाद यादव का नाम ना आए ऐसा नहीं हो सकता, पिछले 10 चुनाव में से आठ चुनाव सुरेंद्र प्रसाद यादव के जीते हैं. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इस सीट पर उनकी पकड़ कितनी मजबूत है. बेलागंज सीट का अस्तित्व पहली बार 1962 में आई.
बेलागंज सीट पर हुए चुनाव नतीजों पर एक नजर-
1962 में कांग्रेस ने सीट जीती
1962 के चुनाव में, कांग्रेस के रामेश्वर मांझी 6,189 मतों से विजयी हुए. सोशलिस्ट पार्टी की भगवती देवी दूसरे स्थान पर रहीं. रामेश्वर मांझी को कुल 13,233 मत मिले, जबकि भगवती देवी को 7,044 मत प्राप्त हुए.
1967 में एसएसपी ने जीत हासिल की
1967 के चुनाव में एसएसपी ने जीत हासिल की. समाजवादी पार्टी के एस.एन. सिन्हा ने कांग्रेस के एमपी सिंह को 2,631 मतों से हराकर जीत हासिल की. एस.एम. सिन्हा को कुल 15,709 मत मिले, जबकि एमपी सिंह को 13,078 मत मिले.
1969 में कांग्रेस ने यह सीट फिर से जीत ली
1969 में, कांग्रेस ने बेलागंज सीट जीत ली. इस चुनाव में, कांग्रेस के मिथलेश्वर प्रसाद सिंह ने शोषित दल के रामेश्वर प्रसाद यादव को 2,701 मतों से हराया. मिथलेश्वर प्रसाद यादव को 15,303 मत मिले. इस बीच, रामेश्वरम प्रसाद को 12,602 वोट मिले. तत्कालीन विधायक इस चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे.
1972 में कांग्रेस (ओ) जीती
1972 के चुनाव में, कांग्रेस (ओ) के जितेंद्र प्रसाद सिंह 22,987 वोटों से जीते. हिंदुस्तान शोषित दल के रामेश्वरम प्रसाद यादव दूसरे स्थान पर रहे. जितेंद्र प्रसाद को 38,193 वोट मिले. रामेश्वरम प्रसाद यादव को 15,206 वोटों से संतोष करना पड़ा.
1977 में जनता दल जीती
1977 के चुनाव में, जनता पार्टी के शंभू प्रसाद सिंह ने बेलागंज सीट जीती. उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार रामेश्वरम प्रसाद को 12,172 वोटों से हराया. शंभू प्रसाद को 31,035 वोट मिले, जबकि रामेश्वरम प्रसाद को 18,863 वोट मिले.
1980 में कांग्रेस की जीत
1980 के चुनाव में, कांग्रेस (यू) के शत्रुघ्न शरण सिंह 2,515 वोटों से जीते. निर्दलीय उम्मीदवार महेश प्रसाद यादव दूसरे स्थान पर रहे. शत्रुघ्न शरण को 29,847 और महेश प्रसाद को 27,332 वोट मिले.
1985 में अभिराम की जीत
1985 के चुनाव में, कांग्रेस के अभिराम शर्मा 63,142 वोटों से जीते. निर्दलीय उम्मीदवार शिव बच्चन कुमार सिंह दूसरे स्थान पर रहे. अभिराम शर्मा को कुल 77,479 वोट मिले, जबकि शिव बच्चन को 14,337 वोटों से संतोष करना पड़ा.
1990 में सुरेंद्र यादव की जीत
1990 के चुनाव में, जनता दल के सुरेंद्र प्रसाद यादव ने जीत हासिल की. उन्होंने तत्कालीन विधायक अभिराम शर्मा को मात्र 4,502 वोटों से हराया. सुरेंद्र प्रसाद को कुल 55,799 वोट मिले. वहीं, अभिराम शर्मा को 51,297 वोट मिले.
1995 में भी जनता दल के सुरेंद्र यादव ने जीत हासिल की. इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के अभिराम शर्मा को 28,715 वोटों से हराया. सुरेंद्र प्रसाद यादव को 62,548 वोट मिले, जबकि अभिराम शर्मा को 33,833 वोट मिले.
1998 में बेलागंज सीट के लिए उपचुनाव हुआ
1998 में, सुरेंद्र यादव जहानाबाद से सांसद बने. परिणामस्वरूप, बेलागंज सीट के लिए उपचुनाव हुआ. राजद के महेश सिंह यादव ने यह चुनाव जीता.
बेलागंज 2000 में सुरेंद्र प्रसाद का गढ़ बन गया
राजद के सुरेंद्र प्रसाद ने 2000 के चुनावों में बेलागंज सीट जीती. उन्होंने फरवरी 2005, अक्टूबर 2005, 2010, 2015 और 2020 में भी जीत हासिल की.
2000 के चुनावों में, उन्होंने भाजपा के कृष्ण कुमार सिंह को 22,737 मतों से हराया. सुरेंद्र प्रसाद को 61,840 मत मिले, जबकि कृष्ण कुमार सिंह को 39,106 मत मिले.
फरवरी 2005 के चुनावों में, राजद के सुरेंद्र ने लोजपा के एम. अमजद को 23,243 मतों से हराया. सुरेंद्र प्रसाद को 59,154 मत मिले, जबकि मोहम्मद अमजद को 35,911 मत मिले.
अक्टूबर 2005 के चुनावों में, राजद के सुरेंद्र ने जदयू के मोहम्मद अमजद को 6,350 मतों से हराया. सुरेंद्र प्रसाद यादव को 33,457 मत मिले, जबकि अमजद को 27,125 मत मिले.
2010 के चुनावों में, सुरेंद्र प्रसाद यादव ने जदयू के मोहम्मद अमजद को 4,638 मतों से हराया. सुरेंद्र प्रसाद यादव को कुल 53,079 मत मिले, जबकि मोहम्मद अमजद को 48,441 मत मिले.
2015 के चुनावों में, राजद के सुरेंद्र प्रसाद ने हम के शारिम अली को 30,341 मतों से हराया. सुरेंद्र प्रसाद को कुल 71,067 वोट मिले, जबकि शारिम अली को 40,726 वोटों से संतोष करना पड़ा.
2020 के चुनाव में राजद के सुरेंद्र यादव 23,963 वोटों से जीते. जदयू के अभय कुमार सिन्हा दूसरे स्थान पर रहे. सुरेंद्र को 79,708 वोट मिले, जबकि सिन्हा को 55,745 वोट मिले. सुरेंद्र प्रसाद बिहार सरकार में सहकारिता मंत्री भी रह चुके हैं.
2024 में मनोरमा देवी की जीत
2024 में, सुरेंद्र प्रसाद जहानाबाद से सांसद चुने गए. इसके बाद, उन्होंने अपने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया. 2024 में बेलागंज में उपचुनाव हुआ. सुरेंद्र यादव ने अपने बेटे विश्वनाथ सिंह को उपचुनाव में उतारा, लेकिन वे हार गए. जदयू की मनोरमा देवी ने 73,334 वोट हासिल करके चुनाव जीता. राजद के विश्वनाथ कुमार सिंह को 51,943 वोट मिले.
जब लालकृष्ण आडवाणी से विधेयक की एक प्रति छीनकर फाड़ दी थी
जब सुरेंद्र यादव 1998 में पहली बार बिहार के जहानाबाद से सांसद चुने गए थे, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी की मौजूदगी में संसद में महिला आरक्षण विधेयक पेश किया जा रहा था. राजद और समाजवादी पार्टी के सांसद इस विधेयक का विरोध कर रहे थे. इसी बीच, बिहार के जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र से सांसद सुरेंद्र प्रसाद यादव ने लालकृष्ण आडवाणी से विधेयक की एक प्रति छीनकर फाड़ दी. इस घटना ने सुरेंद्र प्रसाद यादव को लंबे समय तक सुर्खियों में बनाए रखा.