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Bihar Election 2025: झारखंड में टूटने वाला है RJD-JMM का रिश्ता, हो गया महागठबंधन की हार के 10 बड़े कारणों का खुलासा

Bihar Assembly RJD Defeat: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में करारी हार से RJD निराश होने के साथ-साथ चिंतित भी है, क्योंकि इसका असर निचले स्तर के कार्यकर्ताओं पर भी पड़ा है.

By: JP Yadav | Last Updated: December 1, 2025 5:30:33 PM IST



Bihar Assembly Elections: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Assembly Elections 2025) में राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस की अगुवाई वाले महागठबंधन को करारी हार मिली, जबकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (National Democratic Alliance) ने 243 में से 202 सीटें लेकर इतिहास रच दिया. पहली बार भारतीय जनता पार्टी 89 सीटें जीतकर बिहार में नंबर वन पार्टी बनी, जबकि जनता दल यूनाइडेट को 85 सीटों पर जीत हासिल की. इस स्टोरी में बताएंगे महागठबंधन की हार की बड़े कारण. 

1. 10,000 रुपये की योजना का हुआ असर

बिहार में NDA की बंपर जीत की एक बड़ी वजह नीतीश कुमार सरकार की मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना है. इसके तहत नीतीश सरकार की ओर से राज्य की करीब 10 लाख महिलाओं के बैंक खातों में 10-10 हजार रुपये की सहायता राशि ट्रांसफर की गई. इसका असर यह हुआ कि महिलाओं ने NDA के पक्ष में जमकर वोटिंग की. नतीजा यह रहा कि सत्ता पक्ष की वापसी हो गई. RJD के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी (RJD Spokesperson Mrityunjay Tiwari) ने भी स्वीकार किया है कि NDA की जीत में 10 हजारी योजना कारगर साबित हुई. 

2. वोटरों में हुआ बिखराव

मीडिया हाउस से बातचीत में RJD प्रवक्ता ने माना कि चुनाव से ठीक पहले महिला वोटरों को 10,000 रुपये की रिश्वत देने का सीधा और अप्रत्यक्ष असर होता है. यहां भी यही हुआ. उन्होंने यह भी माना कि मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना एक चुनावी चाल के अलावा और कुछ नहीं है. RJD के अधिकतर उम्मीदवारों ने भी कहा कि 10,000 रुपये की योजना का बहुत बड़ा असर हुआ. इसमें कई परिवारों के पुरुष और महिला सदस्यों की चुनावी पसंद बंट गई. इस दौरान महिलाओं ने उन्हें चुना जो 10,000 रुपये दे रहे थे. यह भी कहा जा रहा है कि घर में 10,000 रुपये आने के बाद महिलाओं ने घर के पुरुषों को इस बात के लिए मनाया कि वोट NDA के पक्ष में जाना चाहिए.शायद इसी का असर रहा कि महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों ने भी NDA के पक्ष में जमकर वोटिंग की. 

3. सही निकला मदन प्रसाद साह का दावा!

यह दृश्य लंबे समय तक नहीं भुलाया जा सकता है, जब बिहार विधानसभा चुनाव के लिए RJD का टिकट न मिलने पर पूर्वी चंपारण के मधुबन से एक नेता मदन प्रसाद साह टूट गए. टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने पब्लिक के सामने ही अपने कपड़े फाड़ लिए. इतना ही नहीं RJD प्रमुख लालू प्रसाद और उनकी पत्नी राबड़ी देवी के घर 10, सर्कुलर रोड के बाहर सड़क पर लोट-पोट हो गए. यह भी कम हैरत की बात नहीं है कि उन्होंने RJD के फैसले का विरोध करते हुए यह भी अनुमान लगाया कि पार्टी सिर्फ़ 25 सीटों पर सिमट जाएगी. यह भविष्यवाणी सही साबित हुई. जब परिणाम आए तो चुनावों में RJD के नेतृत्व वाले महागठबंधन को मौजूदा NDA के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा. महागठबंधन को राज्य की 243 सीटों में से 35 सीटें मिलीं, जबकि NDA को 202 सीटें मिली थीं. यहां पर यह बताना जरूरी है कि 143 सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में 75 सीटों से गिरकर RJD की सीटें 25 हो गईं.

4. तेजस्वी ने हार के बाद संभाल लिया मोर्चा

बिहार में RJD की हार से पार्टी के दिग्गज नेता भी सकते में हैं, लेकिन हताशा से निकलने की कोशिश भी जारी है. RJD नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने पार्टी के कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं. RJD ने लगातार अपनी चुनावी हार का रिव्यू करने के लिए एक बड़ी कवायद भी शुरू कर दी है. इस काम के पहले फेज़ में बिहार RJD प्रेसिडेंट मंगनी लाल मंडल ने कुछ सीनियर नेताओं के साथ चुनाव हारने वाले कैंडिडेट्स से मिलना शुरू कर दिया है. शुरुआत करते हुए वे पिछले कुछ दिनों में कई ऐसे कैंडिडेट्स से मिले हैं, जो 20,000 से कम वोटों से हारे हैं. 

5. हारे प्रत्याशियों से लिया फीड बैक

बिहार RJD प्रेसिडेंट मंगनी लाल मंडल मीटिंग्स के दौरान RJD नेताओं और हारने वाले कैंडिडेट्स ने पार्टी के खराब प्रदर्शन के कई कारण बताए हैं. इनमें कई कैंडिडेट्स का गलत सिलेक्शन और कुछ पार्टी वर्कर्स द्वारा पॉसिबल सैबोटेज शामिल है. हार का एक और बड़ा कारण नीतीश कुमार सरकार की दस हजारी या मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना (MMRY) स्कीम को बताया गया है, जिसके तहत चुनाव से ठीक पहले 1.51 करोड़ होने वाली महिला एंटरप्रेन्योर्स को 10,000 रुपये दिए गए थे. यह भी एक तरह से सच है कि पूरा अपोज़िशन अलायंस इस स्कीम और दूसरे कारणों को अपनी हार का कारण बता रहा है.

6. तरैया पर RJD की हुई बेहद मामूली अंतर से हार

वहीं, मृत्युंजन तिवारी ने कहा कि RJD को पार्टी के पुराने गढ़ सीमांचल (कटिहार, पूर्णिया, अररिया और किशनगंज), शाहाबाद (भोजपुर, कैमूर, बक्सर और रोहतास), और मगध के कुछ हिस्सों (जैसे जहानाबाद और अरवल) में भी हार मिली. खासतौर से सारण की तरैया सीट पर RJD उम्मीदवार शैलेंद्र प्रताप सिंह अपने प्रतिद्वंद्वी BJP के जनक सिंह से बहुत कम अंतर से हार गए. इस पर मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि हमें कुछ इलाकों में अंदरूनी और बाहरी तोड़-फोड़ का शक है. हम विधानसभा के हिसाब से एनालिसिस कर रहे हैं. RJD प्रवक्ता ने कहा कि कुछ सीटों के एनालिसिस से पता चलता है कि कैसे कुछ पार्टी वर्कर्स ने भी हमारी हार में हाथ बंटाया होगा. 

7. क्या गीतों ने काम बिगाड़ा?

RJD के एक पदाधिकारी की मानें तो कई भोजपुरी सिंगर्स ने भी चुनावों के दौरान “ऑफेंसिव” गाने रिलीज़ किए थे. इसका विरोध भी जमकर हुआ था. सवाल यह भी उठा था कि ऐसे गीत राष्ट्रीय जनता दल की एग्रेसिव इमेज दिखाते थे या उसे “खराब रोशनी” में दिखाते थे. उन्होंने कहा कि हमने ऐसे सिंगर्स को नोटिस जारी किए हैं जिन्होंने अपने गानों के लिए हमसे सही परमिशन नहीं ली थी. मृत्युंजय तिवारी ने भी स्वीकार किया है कि ऐसे सिंगर्स को चुनावी गाने तैयार करने का काम नहीं दिया था.

8. गैरयादव वोटर्स भी हुए नाराज

RJD पदाधिकारी ने कहा कि पार्टी को इस बारे में भी फीडबैक मिला कि कैसे कुछ युवाओं का हरा गमछा पहनकर मोटरसाइकिल चलाना भी गैर-यादव ग्रुप के वोटर्स को पसंद नहीं आया.  उन्होंने कहा, “EBCs हमसे अलग-थलग महसूस कर रहे थे, क्योंकि कुछ हरे गमछे वाले मोटरसाइकिल शो ने उनमें डर पैदा कर दिया, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा पहले RJD का वोटर हुआ करता था. यहां पर बता दें कि RJD के झंडे का रंग हरा है जिस पर लालटेन बनी हुई है. अपने चुनाव प्रचार के दौरान BJP ने 1990 के दशक में लालू प्रसाद के समय के “जंगल राज” का ज़िक्र करते हुए RJD पर ज़ोरदार निशाना साधा था.

9. गलत लोगों को मिला टिकट

एक और RJD नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि “संगठन में यह चर्चा हो रही है कि पार्टी के कई समर्पित कार्यकर्ताओं, ज़िला अध्यक्षों और दूसरे सीनियर अधिकारियों को टिकट नहीं मिल रहा है क्योंकि कई लोग अपने पैसे और RJD के बड़े नेताओं से नज़दीकी के कारण उन्हें किनारे कर रहे हैं. 

10. AIMIM ने पहुंचाया नुकसान!

RJD असदुद्दीन ओवासी की AIMIM के चुनावी असर का भी अंदाज़ा लगा रही है, जिसने मुस्लिम-बहुल सीमांचल इलाके में पांच सीटें जीती हैं.  RJD के सीनियर नेता ने कहा कि यह सच है कि हमने ओवासी फैक्टर को कम आंका. हमें असेंबली चुनावों में धार्मिक और जातिगत दोनों तरह के पोलराइजेशन का सामना करना पड़ा. 

टूट सकता है महागठबंधन 

बिहार में हार के बाद महागठबंधन टूट के कगार पर है. फिलहाल गठबंधन के नए स्वरूप को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है. यह भी खबरें मीडिया में तैर रही हैं कि RJD के रास्ते अलग हो सकते हैं. इसका सबसे ज्यादा असर बिहार से सटे झारखंड में देखने को मिल सकता है. ऐसा हुआ तो हेमंत सोरेन कैबिनेट में राजद कोटे के मंत्री संजय प्रसाद यादव हटाए जा सकते हैं. बिहार में हेमंत सोरेन के पास स्पष्ट बहुमत है, इसलिए सरकार से RJD के हटने के बाद भी सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

कांग्रेस भी करेगी समीक्षा

दिल्ली में बिहार में हुई हार की समीक्षा कांग्रेस आलाकमान कर रहा है. ऐसे में नए समीकरण बनने की संभावना जताई जा रही है. झारखंड की बात करें तो कांग्रेस महत्वपूर्ण सहयोगी दल है.  

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