दुलारचंद यादव मर्डर केस में बाहुबली नेता अनंत सिंह इस वक्त जेल के अंदर हैं, लेकिन मोकामा की सियासत में उनका नाम आज भी उसी गूंज के साथ उभर रहा है. विधानसभा सीट पर चुनावी माहौल गरम है और इसी गर्माहट में एक नया मोड़ तब आया जब जेडीयू के कद्दावर नेता और सांसद ललन सिंह खुद मोकामा पहुंचे. यहां उन्होंने एक ऐसा इमोशनल कार्ड खेला, जिसने राजनीतिक हवा का रुख ही बदल दिया. ललन सिंह ने भीड़ के सामने खड़े होकर कहा “मोकामा का हर व्यक्ति आज अनंत सिंह है.” उन्होंने लोगों से अपील की कि वे खुद को अनंत सिंह की जगह पर रखें, उसी हौसले, उसी जोश और उसी लड़ने वाली जज़्बे के साथ चुनावी मैदान में उतरें. तो आखिर ललन सिंह ने ऐसी अपील क्यों की? क्या वाकई मोकामा की पूरी राजनीति अब भी अनंत सिंह के नाम पर घूम रही है? आइए बताते हैं, मोकामा की उस सियासी ज़मीन पर ललन सिंह ने क्या कहा और इसका असर कितना गहरा हो सकता है.
दुलारचंद यादव की हत्या के आरोप में वे जेल में हैं, लेकिन अनंत सिंह का कद ऐसा है कि उनकी अनुपस्थिति में भी उनका प्रभाव कम नहीं हुआ है. दुलारचंद की हत्या के बाद मोकामा का राजनीतिक परिदृश्य उथल-पुथल भरा है, और इसी उथल-पुथल में जदयू नेता ललन सिंह ने एक नया राजनीतिक दांव खेला है: “यहाँ हर कोई अनंत सिंह है.” दुलारचंद की हत्या के बाद बिहार की राजनीति गरमा गई है, और मोकामा और उसके बाहुबली नेता अनंत सिंह का ज़िक्र बार-बार हो रहा है. इस घटना के बाद, अनंत सिंह एक बार फिर सुर्खियों में हैं, हालाँकि वे अब जेल में हैं. मोकामा में उनकी राजनीतिक विरासत को लेकर एक नया किस्सा उभर रहा है.
पूरे मोकामा को अनंतमय बनाओ… ललन सिंह की अपील
जनता यूनाइटेड पार्टी के नेता ललन सिंह ने मोकामा पहुँचकर एक भावुक कार्ड खेला. उन्होंने कहा, “सभी को अनंत सिंह बनकर चुनाव लड़ना चाहिए. वो चले गए हैं, इसलिए आज से मोकामा चुनाव की कमान हमने संभाल ली है.” ललन सिंह ने लोगों से अपील की कि वे खुद को अनंत सिंह समझें और अनंत सिंह की तरह ही जोश और जुनून के साथ चुनाव लड़ें. अनंत सिंह को भारी मतों से जिताकर षडयंत्रकारियों को बदनाम करें. पूरे मोकामा को अनंतमय बना दें. पूरे इलाके में फैल जाओ.” इस बयान ने मोकामा के राजनीतिक माहौल को और गरमा दिया है और अब सबकी निगाहें इसी सीट पर टिकी हैं. क्या ललन सिंह की रणनीति काम करेगी? क्या अनंत सिंह का प्रभाव उनकी अनुपस्थिति में भी वोटों में तब्दील होगा?
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अनंत सिंह जेल में हैं, लेकिन राजनीति उनके इर्द-गिर्द घूमती है
बिहार की राजनीति में कुछ नाम सिर्फ़ नेता नहीं, बल्कि एक अलग तरह के प्रतीक बन जाते हैं. मोकामा का ज़िक्र होते ही एक चेहरा ज़ेहन में आता है: अनंत सिंह. “छोटे सरकार” के नाम से मशहूर यह नेता अब जेल में हैं, लेकिन यह राजनीतिक मजबूरी है कि उनकी अनुपस्थिति में भी मोकामा की राजनीति उनके इर्द-गिर्द घूमती रहे. इससे पहले, 2020 में, जब अनंत सिंह जेल में थे, तब उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी. यह जीत सिर्फ़ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उस जनभावना की थी, जो सलाखों के पीछे भी अपने नेता को नहीं भूलती। यह कोई अपवाद नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति की एक परंपरा बन गई है.