वैभव चंद्राकर की रिपोर्ट, Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में साइबर और जमीन माफियाओं के गठजोड़ की परतें खुल रही हैं। दुर्ग पुलिस ने ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जिसने सरकारी भुइंया सॉफ्टवेयर को ही हथियार बनाकर ठगी का खेल खेला। गिरोह ने 765 एकड़ जमीन के राजस्व रिकॉर्ड में सेंध लगाई, फर्जी खसरे बनाए और उन्हीं जाली दस्तावेजों पर भरोसा दिलाकर बैंक से 36 लाख रुपए का लोन हड़प लिया। पुलिस प्रवक्ता पद्मश्री तंवर ने बताया कि पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी दिनू राम यादव और एस. राम बंजारे ने पटवारी हल्का नंबर 16 के ग्राम अछोटी और मुरमुंदा के रिकॉर्ड को हैक कर छेड़छाड़ की। मूल खसरा नंबरों को तोड़-मरोड़कर नए खसरे तैयार किए गए। इन कूटरचित दस्तावेजों को वैध दिखाकर बैंक से लोन लिया गया। यह कोई सामान्य धोखाधड़ी नहीं, बल्कि सरकारी सिस्टम को हाईजैक कर किया गया सुनियोजित अपराध था।
ठगी की रकम और उसका ठिकाना
ठगी से निकाली गई रकम सीधे कई खातों में घुमाई गई। इनमें से सबसे बड़ा हिस्सा, 20 लाख 26 हजार 547 रुपए आरोपी नंद किशोर साहू (निवासी सेक्टर-05, क्वार्टर नंबर 4-बी, भिलाई) के खाते में पहुंचा। साहू ने इस रकम को अपनी प्राइवेट कंपनी भिलाई-दुर्ग फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी में इन्वेस्ट कर दिया। यानी बैंक से लूटी गई रकम को कारोबार में खपाकर वैध बनाने की कोशिश की गई। पैसे की ट्रेल और डिजिटल साक्ष्यों ने पुलिस को सीधा साहू तक पहुंचाया। 27 अगस्त को नंदिनी थाना पुलिस ने दबिश देकर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। उसके खिलाफ बीएनएस की गंभीर धाराओं और आईटी एक्ट की धारा 66(सी) के तहत केस दर्ज किया गया है। पुलिस अब शेष आरोपियों की तलाश और पूरे नेटवर्क की गुत्थी सुलझाने में जुटी है।
बड़ा साइबर-जमीन घोटाला
जांच अधिकारियों का मानना है कि यह सिर्फ ठगी नहीं, बल्कि जमीन माफिया और साइबर अपराधियों का संगठित गिरोह है, जिसने सरकारी रिकॉर्ड को हाईजैक कर बैंक को करोड़ों का चूना लगाने की योजना बनाई थी। पुलिस का दावा है कि यह मामला प्रदेश में अब तक के सबसे बड़े जमीन-आधारित साइबर घोटालों में से एक साबित हो सकता है।
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