दीपक विश्वकर्मा की रिपोर्ट, BILASPUR CHHATTISGARH: छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल की संख्या को लेकर उठे विवाद पर हाई कोर्ट ने कांग्रेस कार्यकर्ता बसदेव चक्रवर्ती की याचिका को जनहित याचिका मानकर स्वीकार कर लिया है। याचिकाकर्ता का तर्क है कि संविधान के अनुच्छेद 164(1ए) के अनुसार किसी भी राज्य में मंत्रियों की संख्या विधानसभा की कुल सीटों के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती। 90 सीटों वाली छत्तीसगढ़ विधानसभा में यह सीमा अधिकतम 13 मंत्रियों की है, जबकि वर्तमान में 14 मंत्री नियुक्त हैं, जो असंवैधानिक है।
इसी तरह का मामला सुप्रीम कोर्ट में है
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार ने दलील दी कि मंत्रिमंडल की सीमा तय करने का मुद्दा पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। यह मामला मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार के मंत्रिमंडल से जुड़ा है, जिसकी सुनवाई 22 जुलाई 2020 को हुई थी और अब भी लंबित है। सरकार के अधिवक्ताओं ने इस संबंध में आदेश और प्रतियां अदालत को प्रस्तुत कीं।
एक मामला सुप्रीम कोर्ट में है इसलिए इंतजार करना होगा
वहीं याचिकाकर्ता ने आपत्ति जताई कि सुप्रीम कोर्ट का मामला खारिज हो चुका है, लेकिन सरकारी पक्ष ने स्पष्ट किया कि यह अब भी विचाराधीन है। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि चूंकि मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है, इसलिए अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी, ताकि उस मामले की वर्तमान स्थिति स्पष्ट हो सके। गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता से सामाजिक कार्यों से संबंधित शपथपत्र मांगा था। मंगलवार को जब मामला पेश हुआ, तब याचिकाकर्ता की ओर से कोविड काल में की गई सेवाओं की फोटो और अखबार की कटिंग दी गई। हालांकि, इनमें तिथि और समय दर्ज न होने पर चीफ जस्टिस ने सवाल उठाए। अब इस मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी और इसका निर्णय सीधे तौर पर छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल की वैधता को प्रभावित कर सकता है।

