Future of Salaried Jobs in India: भूल जाइए हर महीने वाली सैलरी पर भरोसा करना…क्योंकि, भारत में तेजी से आर्थिक हालात बदल रहे हैं. व्हाइट कॉलर वाली नौकरियों का दौर थमता नजर आ रहा है ऐसे में स्थायी आय वाला मॉडल कुछ डगमगाता नजर आ रहा है और मिडिल क्लास के सामने नौकरियों का संकट बढ़ना शुरू हो गया है. इतना ही नहीं, आने वाले समय में भारत में पढ़े-लिखे लोगों को नौकरी मिलना और भी मुश्किल हो सकता है, जिससे बेरोजगारी की समस्या गहरी हो सकती है.
भारत में नौकरियां मिलना हो जाएगा मुश्किल!
हर महीने सैलरी वाली नौकरी को आज के समय में बेस्ट माना जा रहा है. लेकिन, आने वाला समय शायद सैलरी वाली नौकरियों का नहीं है. क्योंकि, एक संकट खड़ा होने वाला है जिसमें महीने की पक्की सैलरी वाली नौकरियां शायद खत्म हो जाएं. जी हां, ऐसा हमारा नहीं, बल्कि Marcellus Investment Manager के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर सौरभ मुखर्जी का कहना है.
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सौरभ मुखर्जी ने एक पोडकास्ट के दौरान बताया है कि, भारत में रोजगार में बढ़ोतरी नहीं हो रही है और यह लगभग रुक सी गई है. उनका साथ ही मानना है कि भविष्य की स्थिति साफ दिख रही है, जिसे बदलना नामुमकिन है. इन्वेस्टमेंट मैनेजर का कहना है कि पिछले 5 सालों में पढ़े-लिखे लोगों के लिए नौकरियों में कुछ खास बढ़त नहीं देखने को मिली है. ऐसे में आने वाले समय में नौकरियां मिलना और भी मुश्किल होने वाला है. ऐसे में यह मिडिल क्लास के युवाओं के लिए बड़ी वार्निंग है, जो अपनी पूरी जिंदगी सैलरी पर बिताते हैं.
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क्या खत्म होने वाली हैं सैलरी वाली नौकरियां?
सौरभ मुखर्जी का मानना है कि नौकरियों की कमी के पीछे की वजह ऑटोमेशन यानी मशीनों और कंप्यूटरों का काम और कंपनियों का ज्यादा कुशल होना भी वजह है. लंबे समय से प्रॉफिट में चल रही हैं और बड़ी कंपनियां अब बिना लोगों को नौकरी पर रखे ही अपना बिजनेस बढ़ा सकती हैं. ऑटोमेशन की वजह से कंपनियों के लिए बिना लोगों को नौकरी पर रखे बिजनेस करना आसान हो गया है.
एक्सपर्ट का कहना है कि ट्रेडिशनल तौर पर चल रहीं पक्की सैलरी वाली नौकरियां खत्म हो सकती हैं और इसके पीछे की वजह बिखरी हुई इकॉनामी यानी Gig Economy ले सकती है. ऐसे में पक्की सैलरी वाली नौकरियां पीछे छूट जाएंगी और ड्राइवर, कोडर, पॉडकास्टर और फाइनेंस सलाहकार जैसे सभी लोग खुद का काम खुद करने वाले बन जाएंगे.
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