GST reforms: दिवाली के बाद GST में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा, जहाँ केवल दो ही टैक्स स्लैब होंगे 5% और 18%। लेकिन सवाल ये है कि जिन राज्यों की कमाई GST पर ज्यादा निर्भर है, वे इस कमी की भरपाई कैसे करेंगे? आइए जानते हैं कि कौन से राज्य इस बदलाव से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे और किसे भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है।
आपको बता दें कि जीएसटी परिषद जल्द ही एक महत्वपूर्ण बैठक करने जा रही है, जिसमें कर दरों को सरल बनाने, स्लैब कम करने और उपभोक्ताओं व व्यवसायों के लिए कर प्रणाली को आसान बनाने जैसे नए सुधारों पर चर्चा होगी। इस सुधार योजना को देश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
यदि जीएसटी दरें कम की जाती हैं, तो इससे वस्तुओं की कीमतों में कमी आ सकती है, जिससे उपभोक्ता अधिक खर्च कर पाएँगे और बाजार में उन वस्तुओं की माँग बढ़ेगी। इससे आर्थिक गतिविधियों को नई ऊर्जा भी मिल सकती है। लेकिन इसके साथ ही, यह भी चिंता बनी हुई है कि जो राज्य जीएसटी पर अधिक निर्भर हैं, उन्हें राजस्व में भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है।
SBI और एंबिट कैपिटल के अनुमान के अनुसार यह बताया गया है कि केंद्र और राज्यों दोनों को सालाना 7 हजार करोड़ रुपये से 1.8 लाख करोड़ रुपये तक के राजस्व का नुकसान हो सकता है। जबकि एंबिट कैपिटल इसे ‘राजकोषीय प्रोत्साहन’ यानी आर्थिक प्रोत्साहन का दूसरा चरण मान रहा है, जो हाल ही में आयकर में कटौती के बाद आ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, यदि यह कटौती सीधे उपभोक्ताओं तक पहुँचती है और सरकार अपने खर्चों में कटौती नहीं करती है, तो इससे देश की जीडीपी में 0.2 से 0.5 प्रतिशत की वृद्धि भी हो सकती है। लेकिन आपको बता दें कि इसका असर हर राज्य पर एक जैसा नहीं होगा।
कौन से राज्य सबसे ज़्यादा होंगे प्रभावित?(Revenue impact on states)
बेकर टिली इंडिया के पार्टनर सुनील गुप्ता के अनुसार जिनकी अर्थव्यवस्था खपत पर ज़्यादा निर्भर है जैसे कर्नाटक और तमिलनाडु। इन्हे इससे फ़ायदा हो सकता है। वहीं, पंजाब, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे कर्ज़ में डूबे राज्य भारी दबाव में आ सकते हैं क्योंकि उनके कुल कर राजस्व का 40% से ज़्यादा हिस्सा जीएसटी से आता है। महाराष्ट्र, जो पहले से ही भारी घाटे में है, को भी कुछ समय के लिए आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है।
बीडीओ इंडिया के पार्टनर कार्तिक मणि ने भी कहा कि उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे ज़्यादा आबादी और ज़्यादा खपत वाले राज्यों को राजस्व का नुकसान होगा। वहीं, केरल, पंजाब, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य, जहाँ जीएसटी उनके कुल कर राजस्व का 30-40% हिस्सा है, आनुपातिक रूप से ज़्यादा प्रभावित होंगे।