Categories: एस्ट्रो

दिन के पहर और उनका क्या है महत्व, जानें पूजा-पाठ का सही समय क्या है?

Din Ke Pehar: भारतीय जीवनशैली और वेदों में समय को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है. दिन को चार भागों या पहरों में विभाजित किया गया है और प्रत्येक पहर का अपना विशेष महत्व है. माना जाता है कि सही समय पर किए गए कार्य अधिक फलदायी और शुभ परिणाम देने वाले होते हैं. पूजा, ध्यान या कर्म के लिए किस पहर को श्रेष्ठ माना जाता है, यह समझना जीवन को संतुलित और सफल बनाने में सहायक है.

Published by Shivi Bajpai

Din Ke Pehar ka Mehtav: दिन के पहर यानी दिन के चार हिस्से, भारतीय संस्कृति और जीवनशैली में अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं. प्राचीन काल से ही समय को प्रातःकाल, पूर्वाह्न, अपराह्न और संध्याकाल में बांटा गया है. प्रत्येक पहर का अपना महत्व है – प्रातःकाल साधना, योग और ध्यान का समय है, पूर्वाह्न शिक्षा और कार्य के लिए श्रेष्ठ माना जाता है, अपराह्न सामाजिक और पारिवारिक जिम्मेदारियों के निर्वाह का समय है, जबकि संध्याकाल पूजा, आत्मचिंतन और विश्राम के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है. यदि व्यक्ति इन पहरों के अनुसार जीवनचर्या को ढाल ले तो उसका शरीर, मन और आत्मा संतुलित रहते हैं और जीवन अधिक अनुशासित तथा सफल बनता है.

एक दिन में कितने पहर होते हैं?

पहला पहर (प्रातःकाल – ब्रह्म मुहूर्त से सूर्योदय तक)

पहला पहर दिन का सबसे पवित्र और ऊर्जावान समय माना जाता है. इसे ब्रह्म मुहूर्त कहा जाता है, जो साधारणतः सूर्योदय से लगभग डेढ़ घंटे पहले शुरू होता है. इस समय वातावरण शुद्ध और शांत होता है. ऋषि-मुनियों ने इसे योग, ध्यान और जप-तप के लिए सर्वश्रेष्ठ बताया है. प्रातःकालीन पहर में किए गए मंत्रोच्चारण और साधना मन को एकाग्र करते हैं और शरीर को दिव्य ऊर्जा प्रदान करते हैं.

दूसरा पहर (पूर्वाह्न – सूर्योदय से मध्याह्न तक)

यह समय कार्य और कर्म के लिए श्रेष्ठ है. इस दौरान शरीर और मन दोनों सक्रिय होते हैं, जिससे अध्ययन, व्यापार, लेखन और गृहस्थ कार्यों में सफलता मिलती है. गृहस्थ लोग इस समय पूजा-पाठ, अन्न दान और भगवान को भोग अर्पण करते हैं. पूर्वाह्न का समय लक्ष्मीप्राप्ति और सफलता का सूचक माना गया है.

Related Post

तीसरा पहर (अपराह्न – मध्याह्न से सूर्यास्त तक)

यह समय कर्म के साथ-साथ सामाजिक कार्यों और व्यवहार के लिए उपयुक्त है. अपराह्न में मन अपेक्षाकृत स्थिर होता है, इसलिए यह निर्णय लेने और परिवारिक चर्चाओं के लिए भी अच्छा माना जाता है. वैदिक परंपरा में संध्या काल, जो इसी पहर में आता है, देवताओं की उपासना और अग्निहोत्र के लिए विशेष शुभ समय है.

गेट पर या तिजोरी में…आखिर कहां रखें किस्मत चमकाने वाले Feng Shui सिक्के, दिन दूनी रात चौगुनी होगी तरक्की!

चौथा पहर (संध्याकाल से रात्रि तक)

दिन का अंतिम पहर विश्राम और आत्ममंथन का समय माना जाता है. सूर्यास्त के बाद वातावरण में शांति और आध्यात्मिकता बढ़ती है. संध्याकालीन पूजा, दीपदान और ध्यान इस समय अत्यंत फलदायी होता है. रात्रि का प्रारंभिक हिस्सा घर के सदस्यों के साथ समय बिताने और दिनभर के कार्यों का आकलन करने के लिए श्रेष्ठ है, जबकि रात्रि के अंतिम पहर को विश्राम और निद्रा का समय कहा गया है.

Vastu Tips: क्या आप भी धोते है रात को कपड़े? तो रूक जाइए हो सकता है भारी नुकसान

 

Shivi Bajpai

Recent Posts

Delhi Police Constable Exam 2025: एडमिट कार्ड चाहिए तो तुरंत करें ये काम! वरना हो सकते हैं परेशान

SSC दिल्ली पुलिस परीक्षा 2025: सेल्फ-स्लॉट सिलेक्शन विंडो शुरू, Constable (कार्यकारी, ड्राइवर) और Head Constable…

December 5, 2025

बॉलीवुड मगरमच्छों से भरा…ये क्या बोल गईं दिव्या खोसला, T-Series के मालिक से तलाक पर भी तोड़ी चुप्पी

Divya Khossla News: दिव्या खोसला हाल में ऐसा स्टेटमेंट दिया है, जो बॉलीवुड के फैंस…

December 5, 2025

5 से 15 दिसंबर के बीच यात्रा करने वालों के लिए बड़ी खबर! IndiGo दे रहा रिफंड, ऐसे करें अप्लाई

IndiGo Operationl Crisis: IndiGo 500 उड़ानें रद्द! 5 से 15 दिसंबर के बीच यात्रा करने…

December 5, 2025

Shani Mahadasha Effect: शनि की महादशा क्यों होती है खतरनाक? जानें इसके प्रभाव को कम करने के उपाय

Shani Mahadasha Effects: शनि को न्याय का देवता और कर्मों का फल देने वाला ग्रह…

December 5, 2025

DDLJ के हुए 30 साल पूरे , लंदन में लगा ऑइकोनिक ब्रॉन्ज स्टैच्यू, फोटोज हुईं वायरल

DDLJ Completes 30 Years: फिल्म DDLJ के 30 साल पूरे होने पर लंदन के लीसेस्टर…

December 5, 2025