Budh Vakri 2025: ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह को वाणी और बुद्धि का कारक माना गया है. जो कि कन्या और मिथुन राशि के स्वामी हैं. जिस व्यक्ति के जीवन में बुध ग्रह की स्थिति सही होती है, वो संचार और व्यापार में बहुत आगे जाता है. 9 नवंबर को बुध वृश्चिक राशि में वक्री होने वाले हैं. वक्री होने से मतलब है कि बुध अब उल्टी चाल चलने वाले हैं. तो आइए जानते हैं कि इसका क्या प्रभाव होता है?
बुध वक्री क्यों हो जाते हैं?
बुध वक्री होने का मतलब है कि पृथ्वी से देखने पर बुध ग्रह अपनी कक्षा में पीछे की ओर जाते हुए प्रतीत होते हैं. बल्कि सच में ऐसा कभी नहीं होता है. बुध के वक्री होने से मतलब है कि बुध सामान्य चाल चलने की जगह उल्टी दिशा में चाल चलते हुए प्रतीत होते हैं. बुध व्रकी अवस्था साल में 3 से 4 बार आती है और लगभग 3 सप्ताह तक रहती है.
बुध वक्री होने का क्या होता है प्रभाव?
संचार में आती है बाधा
बुध के वक्री होने पर गलतफहमी हो सकती है. आप अपनी बात सही से सामने वालों को नहीं बता पाते हैं.
तकनीकी समस्याओं का करना पड़ता है सामना
कंप्यूटर, मोबाइल, इंटरनेट और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणओं में खराबी हो सकती है.
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यात्रा में हो सकती है देरी
यात्रा की योजनाएं बाधित हो सकती हैं या अचानक से कोई समस्या आ सकती है.
मानसिक स्थिति खराब हो सकती है
झुंझलाहट, चिड़चिड़ापन और मानसिक असंतुलन महसूस हो सकता है.