Government Taxi Fare Policy 2025: देश में ऑनलाइन बुकिंग टैक्सी से सफर करने वाई लोगों के लिए एक बुरी खबर है। इसमें सबसे ज्यादा परेशानी ऑफिस आने जाने वाले लोगों को होने वाली है। इस दौरान या शाम को आप पीक ऑवर्स में ओला, उबर या रैपिडो से यात्रा करते हैं, तो अब यह आपकी जेब ढीली हो सकती है। केंद्र सरकार ने नई गाइडलाइन जारी की है, जिसके तहत अब ऐप आधारित टैक्सी कंपनियां पीक ऑवर्स में बेस किराए से दोगुना तक किराया वसूल सकेंगी।
मंगलवार को केंद्र सरकार ने मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइन (MVAG) 2025 जारी कर दी है। सीधी भाषा में कहें तो ओला, उबर, या रैपिडो जैसी कैब कंपनियों को पीक ऑवर्स में बेस किराए से दोगुना वसूलने की अनुमति दी गई है। इससे पहले पहले यह सीमा 1.5 गुना थी।
आखिर क्या होते हैं पीक ऑवर्स?
बता दें कि पीक ऑवर्स वह समय होता है, जब सड़कों पर सबसे ट्रैफिक ज्यादा होता है, ऐसे में जब कैब की मांग बढ़ती है या फिर खराब मौसम के कारण लोग ज्यादा कैब बुक करते हैं। आमतौर पर यह समय सुबह 8-11 बजे और शाम 5-9 बजे के बीच होता है। बारिश, त्योहार या बड़े आयोजनों के दौरान भी पीक ऑवर्स हो सकते हैं।
क्या नॉन-पीक ऑवर्स में भी किराए पर असर पड़ेगा?
नए नियमों के मुताबिक गैर-पीक घंटों के दौरान भी किराया बेस किराए का कम से कम 50% तक बढ़ सकता है। जैसे दोपहर या देर रात के दौरान, न्यूनतम किराया बेस किराए का 50% होगा। इसका मतलब है कि कंपनियां बेस किराए से कम चार्ज नहीं कर सकती हैं, भले ही सवारी बहुत छोटी हो। यह नियम ड्राइवरों की आय सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है।
बेस किराया क्या है और इसे कौन तय करता है?
बेस किराया वह मूल किराया है जो एक निश्चित दूरी या समय के लिए कैब, ऑटो-रिक्शा या बाइक टैक्सी के लिए तय किया जाता है। यह किराया राज्य सरकारों द्वारा तय किया जाता है, क्योंकि परिवहन नियम राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। बेस किराया शहर, वाहन के प्रकार (जैसे सेडान, एसयूवी, ऑटो या बाइक) और स्थानीय परिस्थितियों पर निर्भर करता है।
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अगर ड्राइवर सवारी रद्द कर देता है तो क्या होगा?
अगर ड्राइवर सवारी स्वीकार करने के बाद बिना किसी वैध कारण के रद्द करता है, तो उस पर बेस किराए का 10% जुर्माना लगाया जाएगा, जो अधिकतम 100 रुपये तक हो सकता है। ड्राइवरों को मनमाने तरीके से रद्द करने से रोकने के लिए यह नियम बनाया गया है।
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को अगले तीन महीने के भीतर यानी सितंबर 2025 तक इन नए नियमों को लागू करने की सलाह दी है।
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