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NASA ने खोज निकाली ऐसी दुनिया? सुनते ही चक्कर खाकर गिर पड़ेंगे आप; दिमाग काम करना कर देगा बंद!

NASA News: नासा के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी दुनिया की खोज की है. जहां दो सूरज और पृथ्वी के आकार की 3 ग्रह मिली है. जहां एक नहीं बल्कि दो बार सूर्यास्त होगा.

By: Sohail Rahman | Published: October 29, 2025 12:19:52 AM IST



NASA News: अगर आसमान में एक नहीं दो सूरज होते तो क्या होता? क्या आपने इसके बारे में कभी सोचा है? आसमान में दो सूरज होते तो एक सूरज डूबता तो दूसरी तरफ दूसरा सूरज उगता.ये हकीकत से पड़े लग रहा है, लेकिन असल में ये ऐसा हो तो क्या होगा? दरअसल, पूरा मामला ये है कि नासा के सर्वेक्षण उपग्रह ने 190 प्रकाश वर्ष दूर TOI-2267 नामक एक द्वितारा प्रणाली में तीन नए ग्रहों की खोज की है. ये तीनों ग्रह आकार और बनावट में हमारी पृथ्वी के समान हैं. ये दो सूरज हैं, यानी ‘दोहरा सूर्यास्त’ देखना आम बात होगी!

क्या है TOI-2267?

TOI-2267 कोई साधारण जगह नहीं है. यह एक सघन द्वितारा प्रणाली है. इसका मतलब है कि ये दोनों तारे एक-दूसरे के बहुत करीब हैं और इनके गुरुत्वाकर्षण बल लगातार एक-दूसरे से टकरा रहे हैं. अब तक वैज्ञानिकों के सिद्धांत यही बताते रहे थे कि ऐसी प्रणाली में ग्रहों का निर्माण लगभग असंभव होगा. गुरुत्वाकर्षण बल इतना प्रबल होता है कि कोई भी नया ग्रह स्थिर नहीं रह सकता. लेकिन TOI-2267 ने इन सभी मान्यताओं को पलट दिया. बताया जा रहा है कि यहां सिर्फ एक नहीं बल्कि तीन स्थिर और ढोस ग्रहों की नासा के वैज्ञानिकों ने खोज कर ली है. इससे एक बात तो स्पष्ट होता है कि ब्रह्मांड की संभावनाओं की कोई सीमा नहीं है.

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दो तारों की परिक्रमा करने वाले ग्रह

नासा के वैज्ञानिकों ने पाया कि इन तीन ग्रहों में से दो एक तारे की परिक्रमा करते हैं, जबकि तीसरा अपने साथी तारे की परिक्रमा करता है. यह पहली बार है जब किसी द्विआधारी प्रणाली में दोनों तारों के चारों ओर पारगमन ग्रह (ऐसे ग्रह जो अपने तारे के सामने से गुजरते हैं और अपनी उपस्थिति का खुलासा करते हैं) पाए गए हैं. यह खोज न केवल रोमांचक है, बल्कि ग्रह निर्माण के पुराने सिद्धांत को भी चुनौती देती है. अब, वैज्ञानिकों को यह समझना होगा कि ये चट्टानी ग्रह कैसे बने और इतने जटिल वातावरण में ये कैसे बचे रहे.

कैसे हुई यह खोज?

इस खोज में एक पूरी वैज्ञानिक टीम और कई दूरबीनों की मदद शामिल थी. सबसे पहले TESS उपग्रह ने इन ग्रहों से संकेतों का पता लगाया. फिर, SHERLOCK नामक एक विशेष सॉफ़्टवेयर ने डेटा को गहराई से स्कैन किया. इसके बाद SPECULOOS और TRAPPIST नामक दूरबीन नेटवर्क ने इन ग्रहों की पुष्टि की. इन उपकरणों की मदद से वैज्ञानिक ग्रहों के आकार, दूरी और स्थिरता को माप सके. शोध दल के अनुसार, यह ग्रहों के आसपास खोजा गया अब तक का सबसे ठंडा और सघन तारा युग्म है, जिससे यह खोज कई मायनों में रिकॉर्ड तोड़ है.

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