Chernobyl Dogs Color Change: चेरनोबिल आपदा स्थल के आसपास घूमने वाले कुत्तों के साथ कुछ ऐसा हुआ है, जिसे सुनकर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे. जैसे एक कहावत होती है गिरगिट की तरह रंग बदलना. ठीक इसी तरह कुत्तों के रंग बदलने के बाद लोग तरह-तरह की अटकलें लगा रहे हैं तो कोई अनहोनी की आशंका जता रहा है कि कुछ बड़ा घटित हो सकता है. बताया जा रहा है कि यह अजीबोगरीब घटना 39 सालों में पहली बार घटी. चारों तरफ नीले कुत्ते दिखने की वजह से आम लोगों के साथ-साथ वैज्ञानिक भी हैरान रह गए.
क्या है पूरा मामला?
ये चेरनोबिल के कुत्ते 1986 की परमाणु आपदा के बाद बचे जानवरों की अगली पीढ़ी हैं. इनकी देखभाल करने वाली टीम ने कई कुत्तों के वीडियो शेयर किए हैं जिनके फर पर नीला रंग साफ दिखाई दे रहा था. उनमें से एक तो पूरी तरह नीला था. हालांकि पिछले एक सप्ताह से इन सभी का रंग सामान्य था. हाल ही में इन कुत्तों में यह रंग देखा गया. गौरतलब है कि इस 18 वर्ग मील के प्रतिबंधित क्षेत्र में लगभग 700 कुत्ते रहते हैं और ये 1986 की परमाणु आपदा से बचे कुत्तों की अगली पीढ़ी हैं.
कुत्तों का देखभाल करने वाली टीम ने क्या कहा?
इन कुत्तों का देखभाल करने वाली टीम ने एक वीडियो शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा कि पिछले हफ्ते ये नीले नहीं थे. हमें इसका कारण नहीं पता, और हम यह पता लगाने के लिए उन्हें पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं कि यहां क्या हो रहा है.
😳 Blue dogs spotted in Chernobyl
Volunteers in the Chernobyl Exclusion Zone have discovered packs of dogs with bright blue fur, Daily Mail reports. According to researchers, the animals appear healthy and active despite their unusual coloration.
Scientists believe that… pic.twitter.com/6cBPBW9vpi
— NEXTA (@nexta_tv) October 28, 2025
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विशेषज्ञों का क्या कहना है?
इस बारे में विशेषज्ञों का बयान भी सामने आया है. जिसमें कहा गया है कि वे संभवतः किसी ऐसे रसायन के संपर्क में आए होंगे, जिससे उनका रंग बदल गया. हालांकि वे वर्तमान में निश्चित रूप से यह निर्धारित करने में असमर्थ हैं कि इन कुत्तों के साथ क्या हुआ. क्लीन फ्यूचर्स फंड का एक प्रमुख भागीदार एनजीओ डॉग्स ऑफ चेरनोबिल 2017 से चेरनोबिल में कुत्तों की देखभाल कर रहा है. वे समय-समय पर उन्हें भोजन और चिकित्सा प्रदान करते हैं. इस वीडियो ने सोशल मीडिया पर कुछ लोगों को परेशान किया, जबकि अन्य ने कहा कि डरने की कोई जरूरत नहीं है.
चेरनोबिल विकिरण क्षेत्र में रहने वाले कुत्तों ने एक बार फिर अपनी प्रतिरक्षा से दुनिया को चौंका दिया है. 26 अप्रैल, 1986 को शहर के बिजली संयंत्र रिएक्टर के विस्फोट के कारण हुई इस आपदा ने इतिहास में पर्यावरण में रेडियोधर्मी पदार्थ की सबसे बड़ी मात्रा जारी की. विकिरण से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं को रोकने के लिए लोगों को तुरंत निकाला गया.
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