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सावधान! डेटिंग ऐप पर लिखी ‘पर्फेक्ट बायो’ हो सकती है झूठ – जानिए कैसे पहचानें

आजकल प्यार ढूंढना आसान नहीं रह गया है। ऑनलाइन डेटिंग के ज़माने में “घोस्टिंग”, “ब्रेडक्रम्बिंग”, “मंकी बारिंग” जैसे कई ट्रेंड्स सामने आ चुके हैं। अब एक और ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है - बायो-बेटिंग (Bio-Baiting). यह न सिर्फ ऑनलाइन डेटिंग को झूठा बना रहा है बल्कि यूज़र्स में डेटिंग ऐप थकान (Dating App Fatigue) भी बढ़ा रहा है।

By: Renu chouhan | Last Updated: October 28, 2025 2:49:37 PM IST



आजकल प्यार ढूंढना आसान नहीं रह गया है। ऑनलाइन डेटिंग के ज़माने में “घोस्टिंग”, “ब्रेडक्रम्बिंग”, “मंकी बारिंग” जैसे कई ट्रेंड्स सामने आ चुके हैं। अब एक और ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है – बायो-बेटिंग (Bio-Baiting). यह न सिर्फ ऑनलाइन डेटिंग को झूठा बना रहा है बल्कि यूज़र्स में डेटिंग ऐप थकान (Dating App Fatigue) भी बढ़ा रहा है।

बायो-बेटिंग क्या होता है?
बायो-बेटिंग का मतलब है – अपनी डेटिंग ऐप प्रोफाइल में खुद को ज़रूरत से ज़्यादा अच्छा या परफेक्ट दिखाना। यह “कैटफिशिंग” जैसा तो है, लेकिन थोड़ा अलग भी। कैटफिशिंग में कोई पूरी फेक पहचान बना लेता है, जबकि बायो-बेटिंग में व्यक्ति अपनी असली पहचान को ही थोड़ा सजाकर, झूठा इंप्रेशन देता है। जैसे – कोई लिख दे कि उसे किताबें पढ़ना बहुत पसंद है या वह एडवेंचर लवर है, जबकि असल में उसने कभी ट्रैकिंग भी नहीं की।

लोग ऐसा क्यों करते हैं?
लोग खुद को परफेक्ट दिखाने के दबाव में झूठ बोल देते हैं। उन्हें डर होता है कि अगर उन्होंने अपनी सच्चाई दिखाई तो शायद कोई उन्हें पसंद नहीं करेगा।”

अगर आप डेटिंग ऐप यूज़ कर रहे हैं, तो इन बातों पर ध्यान दें:-

बायो बहुत परफेक्ट या बहुत सामान्य हो।

प्रोफाइल में पर्सनल डीटेल्स कम हों।

फोटोज़ और बायो में फर्क नजर आए।

बात करते ही कोई इमोशनल या फाइनेंशियल डिपेंडेंसी दिखाए।

एक्सपर्ट्स के अनुसार, असली प्रोफाइल्स में इंसान अपनी कमियों के साथ ईमानदार नजर आता है – वहीं नकली या ओवर एक्सपोज़ प्रोफाइल भरोसे को तोड़ देती है, जिससे लोग डेटिंग से थकने लगते हैं।

रिसर्च क्या कहती है?
यूके की एक डेटिंग ऐप “Wisp” के सर्वे में पाया गया कि 63% यूज़र्स ने कहा कि जो इंसान उन्हें ऐप पर परफेक्ट लगा, असल में वैसा नहीं था। यही वजह है कि अब कई लोग डेटिंग ऐप्स से दूरी बनाने लगे हैं।

डेटिंग ऐप्स क्या कर रहे हैं?

कई ऐप्स अब सुरक्षा और सच्चाई पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं। जैसे  Happn ने प्रोफाइल वेरिफिकेशन और “रिलेशनशिप टाइप” जैसे फीचर्स शुरू किए हैं। Tinder और Bumble जैसे ऐप्स अब AI मॉडरेशन, फेक प्रोफाइल डिटेक्शन और सेफ्टी सिस्टम का इस्तेमाल कर रहे हैं। Bumble पर भी “किसी को गुमराह करने या झूठी प्रोफाइल से जुड़ी हर एक्टिविटी सख्ती से बैन है।”

इन ऐप्स का मकसद है कि यूज़र्स को ईमानदार, सुरक्षित और सच्चा डेटिंग अनुभव मिले। “Bio-baiting” जैसे झूठे ट्रेंड्स न सिर्फ भरोसा तोड़ते हैं बल्कि लोगों को भावनात्मक रूप से थका भी देते हैं। इसलिए डेटिंग ऐप यूज़ करते समय सतर्क रहें, सच्चाई पहचानें और खुद भी ईमानदार रहें।

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