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Chhath Puja Sandhya Arghya Puja Niyam: छठ पर्व के तीसरे दिन क्यों दिया जाता है संध्या अर्ध्य, जानें इसके नियम और महत्व

Chhath Puja Sandhya Arghya Niyam: छठ पूजा का व्रत संतान की लंबी आयु के लिए रखा जाता है. आज यानी की 27 अक्टूबर को छठ पूजा का तीसरा दिन है. इस दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. तो आइए जानते हैं इससे जुड़े नियमों के बारे में.

By: Shivi Bajpai | Published: October 27, 2025 11:39:01 AM IST



Chhath Puja 2025 Sandhya Arghya: छठ के महापर्व की शुरूआत 25 अक्टूबर से हो गई है. आज यानी की 27 अक्टूबर को छठ महापर्व का तीसरा दिन है, ये दिन संध्या अर्ध्य को समर्पित है. डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हुए घर परिवार और संतान की खुशहाली की कामना की जाती है. ये व्रत छठी मैय्या और सूर्यदेवता को समर्पित है. तो आइए जानते है सूर्य देव को अर्घ्य देने के नियम क्या हैं?

छठ पूजा के पहले अर्घ्य का समय (Chhath Sandhya Arghya Time)

छठ पूजा में आज के समय डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इस दौरान सूर्य और षष्ठी माता के मंत्रों का जाप करना चाहिए. इस दिन व्रतियों का निर्जला व्रत होता है, जो खरना के दिन प्रसाद ग्रहण करने के बाद शुरू हो जाता है. संध्या अर्घ्य का दिन छठ पूजा का मुख्य दिन होता है. आज संध्या अर्घ्य का समय- शाम 4:50 मिनट से 5:41 मिनट तक है. कल उषा अर्घ्य यानी उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और व्रत का पारण किया जाएगा.

सूर्य को अर्घ्य देने के नियम (Surya Arghya Ke Niyam)

सूर्य को अर्घ्य देने के लिए तांबे का लोटा या बर्तन लेना चाहिए. संध्या अर्घ्य देते समय मुख पूर्व दिशा की ओर रखना चाहिए. सूर्य को जल अर्घ्य देते समय दोनों हाथ सिर के ऊपर रखना चाहिए. सूर्य को अर्पित किए जाने वाले जल में लाल चंदन, सिंदूर और लाल फूल डालना चाहिए. अर्घ्य देते समय सूर्य देवता के मंत्रों का जाप करें और सूरज की ओर मुख करके 3 बार परिक्रमा करें.

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संध्या अर्घ्य का महत्व (Chhath Puja Sandhya Arghya Significance)

छठ महापर्व में संध्या अर्घ्य सूर्य देव की पत्नी प्रत्यूषा को समर्पित है. जिन्हें सूर्य देव की किरण मानी जाती है. सूर्य देव को दिया जाने वाला संध्या अर्घ्य संतुलन का प्रतीक माना जाता है. 

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(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. इनखबर इस बात की पुष्टि नहीं करता है)

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