Chhath Rituals: छठ पूजा (Chhath puja) का त्योहार हमेशा से ही भक्ति और उत्सव का अद्भुत संगम रहा है. गाँव की गलियों में सुबह-सुबह के समय लोग अपनी पूजा की तैयारियों में व्यस्त रहते हैं. घर-घर में घाटों की ओर जाने वाली महिलाएं नारियल, केला, कद्दू, आम, सेब और संतरे जैसी फलों की टोकरी लेकर आती हैं. ये सिर्फ खाने के लिए नहीं होते, बल्कि सूर्य देव को अर्पित करने के लिए विशेष महत्व रखते हैं.
छठ पूजा के अवसर पर लोग ठेकुआ, चना, गेंहू, और गुड़ जैसी पारंपरिक मिठाइयों का भी उपयोग करते हैं. ठेकुआ की खुशबू सुबह-सुबह घर में फैल जाती है, और पूरा माहौल भक्तिमय हो जाता है. घाट पर पहुंचकर महिलाएं लाल कपड़े में सजी हुई, सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए खड़ी होती हैं. उनके हाथों में रखा नारियल और खीर दर्शाता है कि यह अर्पण सिर्फ भौतिक नहीं, बल्कि आत्मिक श्रद्धा का प्रतीक है.
फल, विशेषकर केला और आम, पूजा में इसलिए रखे जाते हैं क्योंकि यह समृद्धि, स्वास्थ्य और लंबी आयु के प्रतीक माने जाते हैं. सेब और संतरे का उपयोग स्वास्थ्य और जीवन में मिठास लाने के लिए किया जाता है. लोग इन फलों और मिठाइयों को एक सुंदर प्लेट में सजाते हैं और गंगा या किसी नदी के किनारे सूर्य को अर्पित करते हैं.
समाज को जोड़ने वाला त्योहार
छठ पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि परिवार और समाज को जोड़ने वाला त्योहार भी है. यह हमें प्रकृति के महत्व को याद दिलाता है और हमें सिखाता है कि जो भी हम ग्रहण करते हैं, उसे श्रद्धा और भक्ति के साथ वापस देना चाहिए.
जब अस्त होता है सूर्य
जब सूर्य अस्त होता है और महिलाएं सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर देती हैं, तो उनके हाथों में रखे फल और मिठाइयाँ नदी की लहरों के साथ प्रवाहित हो जाती हैं. यह नज़ारा भक्तों के लिए अद्भुत और आत्मा को शांति देने वाला होता है.