T Raja Singh resignation: तेलंगाना से बीजेपी के फायरब्रांड नेता और विधायक टी राजा सिंह ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। लेकिन जाने से पहले भी उन्होंने वही किया जो उन्हें सबसे अच्छा आता है, जहर उगलना और खुद को हिंदू ‘रक्षक’ साबित करना। अपने भड़काऊ बयानों के लिए चर्चा में रहने वाले टी राजा सिंह ने अपने इस्तीफे में लिखा कि उन्हें बोलने नहीं दिया जा रहा है। उनकी आवाज दबाई जा रही है। उन्हें और कितनी कट्टरता चाहिए?
पहले ही कई बार कानून-व्यवस्था को दे चुके हैं चुनौती
टी राजा सिंह के पिछले रिकॉर्ड पर नजर डालें तो उनकी राजनीति धमकियों, नफरत और धार्मिक उन्माद पर केंद्रित रही है। कुछ महीने पहले उन्होंने धमकी दी थी कि ‘जो कोई भी गाय को छूएगा, उसे वहीं मार दिया जाएगा।’ यह न सिर्फ हिंसा की खुली धमकी थी, बल्कि कानून, संविधान और लोकतंत्र के मुंह पर तमाचा भी था। यह पहला मामला नहीं था जब उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग उठाई गई हो। उनके ऐसे कई बयान हैं। टी राजा सिंह ने एक वीडियो में पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिसके बाद तेलंगाना में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए और कई जगहों पर हिंसा हुई। इसके बाद भाजपा ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया।
हिंदू राष्ट्र की वकालत करने वाले टी. राजा सिंह ने बार-बार कहा है कि भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए और मुसलमानों को नियंत्रण में रखा जाना चाहिए। उन्होंने ओवैसी बंधुओं को देशद्रोही कहा है और कई बार कहा है कि हैदराबाद को ओवैसी मुक्त बनाना होगा। इस बयान को शहर में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण बढ़ाने वाला माना गया। राजा सिंह ने रामनवमी और धार्मिक जुलूसों के दौरान ऐसे बयान दिए हैं, जिससे दंगे जैसी स्थिति पैदा हो गई है।
भाजपा के लिए वरदान या बोझ?
बीजेपी ने पहले उन्हें निलंबित किया था, लेकिन चुनाव से पहले उन्हें वापस बुला लिया। अब जब पार्टी ने रामचंद्र राव को तेलंगाना का अध्यक्ष बनाने का फैसला किया, तो खुद को हाशिए पर पाकर टी. राजा सिंह ने पार्टी छोड़ दी। टी. राजा सिंह जैसे नेता बीजेपी के लिए दोधारी तलवार बन गए हैं। एक तरफ वे कुछ वोट हासिल करते हैं, दूसरी तरफ लोकतांत्रिक विमर्श को कट्टरता की खाई में धकेलते हैं।
बहुत सारे मामले
टी. राजा सिंह के खिलाफ 20 से ज्यादा मामले दर्ज हैं। इनमें सांप्रदायिक तनाव फैलाने, नफरत फैलाने वाले भाषण देने, अशांति भड़काने के आरोप शामिल हैं। एक बार तेलंगाना पुलिस ने उन्हें ‘पीडी एक्ट’ यानी प्रिवेंटिव डिटेंशन एक्ट के तहत गिरफ्तार भी किया था। पार्टी से निलंबन के बाद उन्होंने भाजपा के प्रति वफ़ादारी जताई और कहा कि वे हिंदू धर्म के लिए बोलना बंद नहीं करेंगे।