Diwali 2025 Pollution: दिवाली (Diwali) खुशियों, रोशनी और हंसी का त्योहार है, लेकिन कई वरिष्ठ नागरिकों (senior citizens) के लिए यह वक्त थोड़ा चुनौती भरा हो सकता है. तेज आवाज वाले पटाखे, बढ़ता प्रदूषण और बदली हुई दिनचर्या उनकी सेहत पर असर डाल सकती है. खासकर वे बुजुर्ग जो डायबिटीज, ब्लड प्रेशर या सांस की तकलीफ जैसी पुरानी बीमारियों से जूझ रहे हैं. उनके लिए ये दिन संभलकर बिताने वाले होते हैं.
धुएं और प्रदूषण से बचाव जरूरी
दिवाली पर पटाखों का धुआं और बढ़ता प्रदूषण बुजुर्गों के लिए सबसे बड़ा खतरा बन सकता है. ऐसे में घर के अंदर रहना, खिड़कियां और दरवाज़े बंद रखना, और अगर संभव हो तो एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करना मददगार हो सकता है. कोशिश करें कि बुजुर्ग पटाखों के पीक टाइम में बाहर न जाएं. घर में स्वच्छ हवा बनाए रखने की कोशिश करें और उन्हें पर्याप्त पानी देते रहें ताकि शरीर में नमी बनी रहे.
रूटीन और खान-पान का रखें ध्यान
त्योहार के उत्साह में अक्सर बुजुर्गों का खाने और दवाई लेने का समय गड़बड़ा जाता है. परिवार वालों को चाहिए कि वे उनके खाने, दवाई और नींद के समय को नियमित रखें. मिठाई खाते वक्त ध्यान दें कि उन्हें कम चीनी वाली या नेचुरल स्वीटनर से बनी मिठाई दें. ताकि, त्योहार का स्वाद भी बना रहे और सेहत भी सुरक्षित रहे.
सजावट और सुरक्षा दोनों ज़रूरी
दिवाली की रौनक दीपकों और सजावट से बढ़ती है, लेकिन सुरक्षा का ध्यान रखना भी उतना ही जरूरी है. दीपक और मोमबत्तियां ऐसे स्थान पर रखें जहां पर्दे या कपड़ों से आग लगने का खतरा न हो. अगर बुजुर्ग दीपक जला रहे हों, तो आस-पास कोई परिवार का सदस्य मौजूद रहे. किसी भी छोटे जलने या चोट लगने पर तुरंत ठंडे पानी से धोएं और डॉक्टर से सलाह लें.
खुशियां सबके लिए
बुजुर्गों के लिए दिवाली को खास बनाना मतलब त्योहार की रौनक को कम करना नहीं, बल्कि उसे और दिल से मनाना है. साथ बैठकर पूजा करना, घर सजाना या परिवार के साथ खाना साझा करना. ये सब पल उन्हें अपनापन महसूस कराते हैं. जब परिवार उनकी सेहत और सुविधा का ख्याल रखता है, तभी दिवाली सच में हर पीढ़ी के लिए रोशनी और प्यार का त्योहार बनती है.