दशहरे के मौके भगवान श्रीराम ने रावण का अंत कर सच्चाई और न्याय की स्थापना की थी. इसलिए इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर भी मनाया जाता है. इस दिन को विजयादशमी (Vijayadashami) के रूप में भी मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था.
लोग इस दिन रावण का पुतला बनाकर जलाते हैं और इसके साथ अपने अंदर की बुराइयों को भी दहन करने का संकल्प लेते हैं. रावण दहन दर्शाता है कि बुराई चाहे जितनी भी शक्तिशाली हो पर उसका अंत निश्चित है.
10 सिर की रहस्य
हम सभी ने चित्रों में रावण को 10 सिर के साथ ही देखा है. रावण के 10 सिर होने के कारण उसे दशानन नाम भी मिला था. दशानन नाम कहे जाने के पीछे कई और मान्यताएं मौजूद हैं. कुछ लोगों का कहना है कि रावण के 10 सिर सच में नहीं थे रूपक बल्कि थे और उसके अलग-अलग मानसिक और शारीरिक शक्तियों को दर्शाता है.
जैन धर्म के ग्रंथों के अनुसार रावण अपने गले में 9 मणियों की माला थी धारण करता था. उन मणियों में रावण के सिर के आकार की दिखाई देता थी और रावण के 10 सिर होने का भ्रम पैदा होता था. इसी वजह माना जाने लगा कि रावण के दस सिर थे..
भगवान शिव से मिला था आशीर्वाद
रावण भगवान शिव का परम भक्त था ऐसा हिंदू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह भी कहा जाता है. उसने कड़ी तपस्या करके महादेव को प्रसन्न किया और महादेव ने उसे दस सिरों वाला आशीर्वाद दिया.
दस बुराइयों का प्रतीक
लोगों का मानना है कि, रावण के दस सिर इंसान के अंदर मौजूद 10 बुराइयों, व्यवहार और कमजोरियों को दिखाते हैं जो इस प्रकार हैं, काम, क्रोध, लोभ, मोह, भ्रष्टाचार, भय, निष्ठुरता, अहंकार, ईर्ष्या और झूठ बोलना.
इन बुराइयों का दहन भी रावण दहन द्वारा द्वारा. रावण दहन के साथ यह भी जरूरी है कि व्यक्ति अपने अंदर छुपी बुराइयों खत्म करने का फैसला करें.