Shardiya Navratri 2025: हिंदू पंचाग के अनुसार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है और नवरात्रि के 9 दिनों तक माता दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती हैं, वहीं इसी दौरान दुर्गापूजा के साथ-साथ दुनियाभर में रामलीला का मंचन भी लगाया जाता है और दशमी तिथि के दिन दुर्गा विसर्जन के साथ दशहरा मनाया जाता है. शारदीय नवरात्रि के दिन माता दुर्गा की पूजा के अलावा भक्त 9 दिनों के व्रत भी करते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि आश्विन मास में आने वाले नवरात्रि में प्रभु श्री राम ने भी व्रत किया था? जिसके बाद उन्होंने रावण पर विजय पाई थी, तो चलिए जानते हैं यहां क्या है रामायण से जुड़ा नवरात्रि का रहस्य?
कैसे जुड़ा है रामायण से जुड़ा नवरात्रि का रहस्य? (How Is The Mystery Of Navratri Connected With Ramayana?)
देवी भागवत पुराण के तीसरे स्कंध के अध्याय 28-30 के अनुसार प्रभु श्री राम ने भी नवरात्रि में उपवास किया था, जिसके बाद उन्होंने लंकापति रावण पर विजय प्राप्त की थी. देवी भागवत पुराण के तीसरे स्कंध के अध्याय 28 में की शुरुआत में जनमेजय महर्षि, वेदव्यास से सवाल करते हैं कि, ‘श्रीराम ने भगवती जगदम्बा के व्रत का अनुष्ठान किस प्रकार किया था, वे राज्यच्युत कैसे हुए और फिर सीता हरण किस प्रकार किया गया? इस पर महर्षि वेदव्यास श्री राम चरित का (रामायण) वर्णन करते हैं.’ देवी भागवत पुराण के तीसरे स्कंध के अध्याय 30 के अनुसार जब दशानन रावण ने सीता का हरण किया था, तब श्री राम बहुक व्यथित थे और इस दौरान भाई लक्ष्मण उन्हें सांत्वना दे रहे थे, जिसके बाद देवर्षि नारद वहां आते हैं और श्रीराम उनका आदर सत्कार करते हैं. इस दौरान नारद मुनि उनका कुशल क्षेम पूछते हैं और सीता हरण की बात करते
नारद मुनि ने श्रीराम को बताया था कैसे होगा रावण नाश (Narada Muni Had Told Shri Ram How Ravana Killed)
नारद मुनि, श्रीराम को उनके पूर्वजन्म के बारे में बताते हैं और उन्हें रावण के नाश का उपाय बताते हुे कहते हैं कि- आश्विन मास में श्रद्धापूर्वक नवरात्र व्रत (Navratri Vrat) कीजिये”, इसके बाद श्री राम भी नारद मुनि से दुर्गा माता के व्रत का प्रभाव, उनकी उत्पत्ति, उनके नाम और व्रत और पूजा की विधि के बारे में पूछते हैं. नारद जी भी श्री राम को विस्तृत उत्तर देते हैं और नवरात्र व्रत का विधि-विधान समझाते है और कहते हैं कि सुखी मनुष्य को इस व्रत का अनुष्ठान करना चाहिये और कष्ट में पड़े हुए मनुष्य को तो यह व्रत विशेष रूप से करना चाहिये. नारद जी, श्री राम से कहते हैं कि ! किसी समतल भूमि पर पीठासन बनाकर आप उस पर भगवती जगदम्बिका की स्थापना करके विधि विधान से उनकी पूजा करें और 9 दिनों का व्रत (Navratri 2025) करें, इस कार्य में मैं आपका आचार्य बनूँगा; इसके बाद श्री राम ने वैसा ही किया, जैसा नारद जी ने उनसे कहा और आश्विन मास लगने पर वनवास के दौरान माता दुर्गा का पूजन किया, श्रीराम ने व्रत करते हुए विधिवत् होम, बलिदान और पूजन किया. और व्रत को प्रेमपूर्वक सम्पन्न किया.
माता दुर्गा ने दिया था श्रीराम को वरदान (Maa Durga Had Given A Boon To Shri Ram)
श्रीराम के व्रत से प्रसन्न होकर अष्टमी तिथि की मध्यरात्रि में भगवती दुर्गा ने उन्हें साक्षात् दर्शन दिया और उनसे वरदान मांगने के लिए कहा, इसके बाद माता रानी ने श्रीराम को वसन्त ऋतु (चैत्र मास) के नवरात्र में दोबारा पूजा और व्रत (Navratri Vrat) करने के लिए कहा और वरदान दिया कि, पापी रावण का वध करके आप सुखपूर्वक राज करेंगे और ग्यारह हजार वर्षां तक भूतल पर राज करके पुनः आप देवलोक के लिये प्रस्थान करेंगे और ऐसा कहते ही मा दुर्गा अन्तर्धान हो गयीं, इसके बाद श्रीराम ने नवरात्रि व्रत का समापन करके दशमी तिथि को विजया पूजन किया और आगे चलकर देवी दुर्गा के वरदान अनुसार उन्होंने रावण का वध किया .
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है. पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें. इन खबर इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है.