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Health News: हर रोज खा रहे हैं चपाती तो हो जाएं सावधान, नहीं तो होना पड़ेगा इन समस्याओं से दो-चार

Side Effects Of Rotis : इसके ज़्यादा सेवन से रक्त शर्करा (Blood Sugar) में वृद्धि, वज़न बढ़ना, हृदय रोग, सूजन और पोषक तत्वों की कमी का खतरा बढ़ सकता है.

By: Shubahm Srivastava | Published: September 25, 2025 4:05:02 PM IST



Eating Rotis Side Effects: वैसे तो कहा जाता है कि रोजाना चपाती (रोटी) खाने से सेहत बनती है. बड़े बुजुर्ग भी बच्चों से ज्यादा रोटी खाने को कहते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि हर दिन चपाती खाने से आपको कई सारी पाचन संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं? जिसमें पेट फूलना और कब्ज़ जैसी दिक्कत शामिल हैं. खासकर रिफाइंड आटे और प्रसंस्कृत तेलों (Processed Oils) के साथ. 

इसके ज़्यादा सेवन से रक्त शर्करा (Blood Sugar) में वृद्धि, वज़न बढ़ना, हृदय रोग, सूजन और पोषक तत्वों की कमी का खतरा बढ़ सकता है. चलिए रोज चपाती खाने से होने वाली समस्याओं पर एक नजर डाल लेते हैं. 

चपाती खाने से होने वाली समस्या – 

ग्लूटेन की समस्या : चपाती गेहूं से बनती है, जिसमें ग्लूटेन होता है. ग्लूटेन संवेदनशीलता या सीलिएक रोग वाले लोगों के लिए, रोज़ाना इसका सेवन पेट फूलना, गैस और सामान्य पाचन संबंधी परेशानी पैदा कर सकता है.

कब्ज: बहुत ज़्यादा गेहूं, खासकर मैदा, खाने से आंतों पर ज़्यादा काम पड़ता है, जिससे पाचन धीमा हो जाता है और कब्ज हो सकता है.

कठोर मल: कठोर, सूखा मल एक दुष्प्रभाव हो सकता है, खासकर जब चपाती को पर्याप्त तरल पदार्थ, सब्ज़ियों या दही के बिना खाया जाए.

रक्त शर्करा में वृद्धि: नियमित चपाती, खासकर मैदे से बनी, रक्त शर्करा में तेज़ी से वृद्धि कर सकती है, जो रक्त शर्करा (Blood Sugar) के स्तर को नियंत्रित करने के लिए समस्या पैदा करती है.

वजन बढ़ना: कार्बोहाइड्रेट से भरपूर भोजन होने के कारण, रोज़ाना इसका अत्यधिक सेवन कैलोरी की अधिकता में योगदान दे सकता है, जिससे वजन बढ़ सकता है.

वसा भंडारण: परिष्कृत सामग्री और अतिरिक्त कार्बोहाइड्रेट का संयोजन वसा भंडारण को बढ़ा सकता है.

सूजन: चपाती बनाने में अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले परिष्कृत वनस्पति तेल सूजन पैदा करते हैं और शरीर में सूजन बढ़ा सकते हैं.

हृदय रोग का जोखिम: पुरानी सूजन और प्रसंस्कृत तेलों से प्राप्त अस्वास्थ्यकर वसा समय के साथ हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा सकते हैं.

पोषक तत्वों की कमी: चपाती पर अत्यधिक निर्भरता से आहार में फलों, सब्जियों और प्रोटीन में पाए जाने वाले अन्य आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो सकती है.

ऐसे करें बचाव-

इन जोखिमों को कम करने के लिए, साबुत गेहूं का आटा चुनें, उसमें स्वास्थ्यवर्धक वसा (Healthy fats) और सब्ज़ियां शामिल करें, और संतुलित आहार के हिस्से के रूप में चपाती का सेवन कम मात्रा में करें. 

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