Sharad Purnima 2025 Amrit Varsha: हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है. इसे कोजागरी व्रत के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं के परिपूर्ण होकर अमृत की वर्षा करता है. यह रात्रि केवल धार्मिक नहीं बल्कि स्वास्थ्य और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण मानी जाती है. तो आइए जानते हैं कि इस साल शरद पूर्णिमा कब है और अमृत वर्षा का सही समय क्या है?
शरद पूर्णिमा कब है और इससे जुड़ी कहानी क्या है?
साल 2025 में 6 अक्टूबर दोपहर 12 बजकर 33 मिनट से पूर्णिमा तिथि की शुरूआत होगी और ये 7 अक्टूबर 2025 पर 9 बजकर 16 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था और भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन में गोपियों संग रासलीला की थी.
शरद पूर्णिमा की खीर क्यों हैं खास?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणें औषधीय गुणों से युक्त हो जाती हैं. इस रात को खीर को चांदी के पात्र में बनाकर चांदनी में रखने से उसका प्रभाव दोगुना हो जाता है. इस खीर को आप प्रसाद के रूप में खा सकते हैं. ऐसा करने आपके घर पर सुख-समृद्धि आती है. साथ ही जो लोग हमेशा थका हुआ या सुस्त महसूस करते हैं उन्हें ये खीर खिलाने से वो ऊर्जावान हो जाते हैं. अमृत वाली खीर अस्थमा, त्वचा रोग, हृदय और फेफड़ों से जुड़ी समस्याओं में लाभ दायक साबित होती है.
अमृतवर्षा वाली खीर खाने के लाभ
- चांदनी में रखी खीर से शरीर में शांति, ठंडक और मनोबल बढ़ता है.
- चंद्रकिरणों में रखी खीर में हल्की अमृततुल्य गुणधर्म माने जाते हैं, जिससे पाचन क्रिया संतुलित होती है.
- दूध, चावल और चंद्रकिरणों का मेल शरीर को ऊर्जा देने के साथ रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाता है.
- इसे खाने से मन शांत होता है और नींद गहरी व आरामदायक आती है.
- परंपरा के अनुसार, अमृतवर्षा में बनी खीर खाने से मन में सकारात्मकता आती है और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं.