Nepal Currency Facts: नेपाल में Gen-Z के आंदलोन का तीसरा दिन है। हिंसक प्रदर्शन अभी भी जारी है। प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार शाम को सुप्रीम कोर्ट में आग लगा दी। हिंसक प्रदर्शन में अब तक 22 लोगों की मौत हुई, जबकि 400 से ज्यादा लोग घायल हैं। वहीं प्रदर्शनकारियों ने 3 पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा, झालानाथ खलान और पुष्प कमल दहल प्रचंड के घर में आग लगा दी। सरकार ने सोशल मीडिया से बैन हटा लिया है नेपाल के केपी शर्मा ओली ने पीएम के पद से इस्तीफा दे दिया हैं। खबर ये भी सामने आ रही है कि नेपाल को चीन बनाने पर तुले प्रधानमंत्री केपी शर्मा देश छोड़ का भाग गए हैं।
नेपाल में चीन की दखल
रिपोर्ट्स का दावा है कि काठमांडू में चीनी नेताओं के पोस्टर फाड़े गए हैं। ऐसा करके नेपाल के युवा ये संदेश देना चाहते हैं कि नेपाल की जनता अब चीन की दखलंदाज़ी बर्दाश्त नहीं करेगी। नेपाल में लागातार चीन अपना दखल बढ़ा रहा था। चीन का दखल इतना बढ़ गया था कि चीन नेपाल की करंसी भी छाप रहा था।
नोप में भारत विरोधी चीज
आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि नेपाल ने पीछले साल चीन के एक कंपनी को 100 रुपये के नए नोट छापने का ठेका दिया गया था। इस नोट में कुछ ऐसा था जिसके वजह से भारत और नेपाल के बीच विवाद पैदा हो गया था। बता दें कि इस नोट में नेपाल का मैप बदला हुआ दिखाया गया था। इस मैप में लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को देश के हिस्से को नेपाल के हिस्से के तौर पर दिखाया गया था। तब भारत ने नेपाल के इस दावे को दोनों देशों के बीच सम्बंध अस्थिर करने वाला बताया था।
आप ये जानकर चौंक जाएंगे कि करीब 100-100 रुपए के 30 करोड़ नोट को छापने के इस ऑर्डर के लिए अनुमानित लागत 89.9 लाख अमेरिकी डॉलर बताई गई थी। वहीं आपको बता दें कि नेपाल इससे पहले भी कई बार चीन से नोट छपवा चुका है। 2017 में भी चाइना बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन (सीबीपीएम) ने नेपाल राष्ट्र बैंक (एनआरबी) को 24 मिलियन 1000 रुपये के नोट दिए थे।
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दूसरे देशों पर क्यों है निर्भर?
बता दें नेपाल सिर्फ चीन से ही नहीं बल्कि भारत, इंडोनेशिया, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया में भी मुद्रा छापता है। नेपाल का अपने देश में मुद्रा ना छापने के पीछे कई वजह है। किसी भी देश के मुद्रा को छापने के लिए वॉटरमार्क, सुरक्षा धागा, माइक्रोप्रिंटिंग, होलोग्राम जैसी सुरक्षा सुविधाएँ आवश्यक हैं। नेपाल के पास अपने मानकों को पूरा करने वाली आधुनिक मुद्रण तकनीक वाली मशीनें नहीं हैं।
नकली नोटों को रोकने के लिए उच्च सुरक्षा प्रक्रिया की आवश्यकता होती है ताकि धोखेबाज़ ऐसे नोट न बना सकें। इसलिए, नेपाल अन्य देशों पर निर्भर है जिनके पास बेहतर तकनीक वाले उच्च सुरक्षा मुद्रण प्रेस हैं।
अब सवाल यह है कि नेपाल अपनी प्रणाली क्यों नहीं तैयार करता? इसका उत्तर यह है कि यदि नेपाल अपनी सुरक्षा मुद्रण प्रेस बनाता है तो उसे भारी निवेश करना होगा। यहाँ की अर्थव्यवस्था विकसित देशों जैसी नहीं है। यही कारण है कि नेपाल के लिए विदेशों में अपनी मुद्रा छपवाना सस्ता पड़ता है। नेपाल ही नहीं, भूटान, मालदीव और मॉरीशस जैसे कई छोटे देश ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, भारत और चीन जैसे देशों में अपनी मुद्रा छपवाते हैं।