मंगल ग्रह हमेशा से ही रहस्य और रोमांच का प्रतीक रहा है। लाल ग्रह पर अब तक कई बार जीवन की संभावनाओं की खोज की जा चुकी है। कभी पानी की मौजूदगी के संकेत मिलते हैं तो कभी चट्टानों की परतें पृथ्वी जैसी भूगर्भीय कहानियां सुनाती हैं। इसी कड़ी में नासा के क्यूरियोसिटी रोवर ने एक बार फिर वैज्ञानिकों को चौंका दिया है। हाल ही में रोवर ने मंगल की सतह पर ऐसी चट्टानों की खोज की है जो बिल्कुल डायनासोर के अंडों जैसी दिखाई देती हैं। इन आकृतियों ने न केवल वैज्ञानिकों की जिज्ञासा बढ़ा दी है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि क्या कभी मंगल पर जीवन था?
क्यूरियोसिटी रोवर की खोज
यह अनोखी खोज मंगल के माउंट शार्प की ढलानों पर गेडिज वैलिस रिज के ‘द बॉक्सवर्क्स’ नामक इलाके में हुई है। यहां पर मौजूद चट्टानें अपनी आकृति और बनावट के कारण डायनासोर के अंडों जैसी प्रतीत होती हैं। इन पर गहरी दरारें और नसों जैसी लकीरें हैं, जो इस बात का संकेत देती हैं कि लाखों साल पहले यहां नदियां और झीलें बहती रही होंगी। वैज्ञानिकों का मानना है कि इन परतदार संरचनाओं का बनना केवल उस समय संभव था जब सतह पर पर्याप्त नमी और तरल पदार्थ मौजूद रहे हों। धीरे-धीरे यह नमी सूख गई और पीछे रह गईं चट्टानें, जिनका स्वरूप आज किसी रहस्यमय अंडे जैसा है।
जांच में जुटे वैज्ञानिक
क्यूरियोसिटी रोवर अपनी उन्नत तकनीकों की मदद से लगातार मंगल की सतह का अध्ययन कर रहा है। रोवर पर लगे Mastcam कैमरे इलाके की हाई-रेजोल्यूशन तस्वीरें ले रहे हैं, जिससे वैज्ञानिकों को सतह की बनावट समझने में मदद मिल रही है। वहीं, ChemCam चट्टानों की रासायनिक संरचना की जांच कर रहा है ताकि यह पता चल सके कि इनमें कौन-कौन से खनिज मौजूद हैं। इसके अलावा, MAHLI और APXS जैसे उपकरण चट्टानों की सूक्ष्म बनावट को कैद कर रहे हैं।
मिशन का अगला चरण और जीवन की तलाश
फिलहाल नासा का क्यूरियोसिटी रोवर इस इलाके में कुछ समय रुकेगा और यहां मौजूद नसों और दरारों का गहराई से अध्ययन करेगा। इसके बाद यह आगे कुकेनान की ओर बढ़ेगा, जहां और भी परतदार चट्टानें मौजूद हैं। हर कदम पर रोवर मंगल की उस पहेली को सुलझाने में मदद कर रहा है कि आखिर प्राचीन समय में इस ग्रह का विकास किस तरह हुआ था।
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. inkhabar इसकी पुष्टि नहीं करता है.