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रेटिंग 8.1 और नेशनल अवॉर्ड…2 घंटे 12 मिनट की ये फिल्म क्यों आज भी मानी जाती है मास्टरपीस?

Bollywood Classic Movie: बॉलीवुड में कई फिल्में आती हैं और चली जाती हैं, लेकिन कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जो दिल पर अपना छाप छोड़ जाती हैं। आज हम बाात करेंगें ऐसी ही फिल्म की जिसके 20 साल पुरे हो गयें हैं लेकिन इसके चाहनें वाले आज भी हैं।

By: Shivashakti Narayan Singh | Last Updated: August 26, 2025 3:05:59 PM IST



Bollywood Classic Movie: बॉलीवुड में कई फिल्में आती हैं और चली जाती हैं, लेकिन कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जो दिल पर अपना छाप छोड़ जाती हैं। 2005 में आई नागेश कुकुनूर (Nagesh Kukunoor) की फिल्म इकबाल (Iqbal ) भी उन्हीं में से एक है। यह फिल्म एक गूंगे-बहरे लड़के की कहानी है, जिसका सपना भारतीय क्रिकेट टीम के लिए खेलना होता है। श्रेयस तलपड़े द्वारा निभाए गए किरदार ने दर्शकों को भावुक कर दिया और प्रेरित भी किया। छोटे से गांव का यह लड़का हर मुश्किल को पार करते हुए अपने सपने की ओर बढ़ता है।

इकबाल (Iqbal) फिल्म का का बजट

इकबाल (Iqbal) का बजट लगभग 4-5 करोड़ था और इसने बॉक्स ऑफिस पर 6 करोड़ रुपये की कमाई की थी। भले ही यह आंकड़े बहुत बड़े न लगे हों, लेकिन इस फिल्म ने न सिर्फ नेशनल अवॉर्ड जीता बल्कि श्रेयस तलपड़े के करियर को भी नई दिशा दी।

 कलाकारों का शानदार अभिनय 

इकबाल सिर्फ श्रेयस तलपड़े (Shreyas Talpade) की फिल्म नहीं थी, बल्कि इसमें हर कलाकार ने अपने किरदार से जान डाल दी। श्वेता बसु प्रसाद ने फिल्म में खदीजा का किरदार निभाया था, जो इकबाल की बहन बनकर उसका सबसे बड़ा सहारा बनी। वहीं, नसीरुद्दीन शाह ने कोच का किरदार निभाया, जिसने इकबाल को उसकी मंज़ल तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। इन दोनों किरदारों ने कहानी को और भी मजबूत बना दिया।फिल्म का निर्देशन नागेश कुकुनूर (Nagesh Kukunoor) ने किया था, जो मानते हैं कि इकबाल उनकी सबसे खुशी देने वाली फिल्मों में से एक है। उन्होंने कहा कि यह फिल्म उनके लिए सिर्फ एक प्रोजेक्ट नहीं बल्कि एक भावनात्मक यात्रा थी। फिल्म की कहानी और उसकी सादगी दर्शकों के दिल को छू लेने वाली थी।

रेटिंग 8.1 और नेशनल अवॉर्ड…2 घंटे 12 मिनट की ये फिल्म क्यों आज भी मानी जाती है मास्टरपीस?

 20 साल बाद भी ताजा है फिल्म की यादें

2025 में इकबाल को रिलीज हुए पूरे 20 साल हो चुके हैं, लेकिन इस फिल्म का जादू आज भी कायम है। श्रेयस तलपड़े (Shreyas Talpade) खुद मानते हैं कि यह फिल्म उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक रही है। उन्होंने बताया कि उनके करियर और सपनों को नया मोड़ देने में इस फिल्म ने अहम भूमिका निभाई। श्रेयस ने यहां तक कहा कि वे चाहते हैं कि इस फिल्म को दोबारा सिनेमाघरों में रिलीज किया जाए, ताकि नई पीढ़ी भी इसे बड़े पर्दे पर अनुभव कर सके। हाल ही में एक बच्ची ने उन्हें बताया कि उसने इकबाल 10 बार देखी है। निर्देशक नागेश कुकुनूर (Nagesh Kukunoor) ने भी इशारा किया है कि शायद फिल्म की री-रिलीज पर विचार किया जा सकता है।

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