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CJI BR Gavai: झुग्गी से CJI तक का सफर, कौन हैं CJI बीआर गवई? जिनके 5 बड़े फैसलों ने हिला दिया पूरा देश

न्यायमूर्ति बीआर गवई पहले भी अपने कई फैसलों के कारण चर्चा में रहे हैं। इसमें नोटबंदी से लेकर अनुच्छेद 370 तक शामिल हैं।

By: Ashish Rai | Last Updated: July 14, 2025 6:19:30 PM IST



CJI BR Gavai: भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई को संक्रमण के कारण दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पीटीआई के सूत्रों के अनुसार, उनका इलाज चल रहा है और उनकी सेहत में तेज़ी से सुधार हो रहा है। संक्रमण से जुड़ी विस्तृत जानकारी साझा नहीं की गई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश की सेहत में सुधार हो रहा है और उनके एक-दो दिन में छुट्टी लेकर अपने काम पर लौटने की उम्मीद है।

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न्यायमूर्ति बीआर गवई कौन हैं?

न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली है। भूषण रामकृष्ण गवई देश के पहले बौद्ध और दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश और भारत के दूसरे मुख्य न्यायाधीश हैं। उनसे पहले, दलित समुदाय के पहले पूर्व मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन ने 2007 में पदभार संभाला था। आइए जानते हैं बीआर गवई द्वारा लिए गए 5 बड़े फैसले।

बीआर गवई के पांच बड़े फैसले

न्यायमूर्ति बीआर गवई पहले भी अपने कई फैसलों के कारण चर्चा में रहे हैं। इसमें नोटबंदी से लेकर अनुच्छेद 370 तक शामिल हैं।

अनुच्छेद 370

बता दें, जब 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने संसद में अनुच्छेद 370 और 35A के ज़रिए जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को हटाने की मंज़ूरी दी, तो इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएँ दायर की गईं। उस समय इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने की, जिनमें से एक बीआर गवई भी थे।

बुलडोजर कार्रवाई पर रोक

बुलडोजर कार्रवाई पर रोक वर्ष 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना मनमाने ढंग से बुलडोजर कार्रवाई को अराजकता और अराजकता करार दिया था। यह आदेश न्यायमूर्ति गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने दिया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि केवल आरोपी या दोषी होने के आधार पर किसी की संपत्ति पर बुलडोजर चलाना सही नहीं है, यह असंवैधानिक है।

नोटबंदी

जब केंद्र सरकार ने 2016 में 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की, तो कुछ लोगों ने इसके खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया। इन लोगों की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के पाँच न्यायाधीशों की पीठ ने सुनवाई की, जिसमें न्यायमूर्ति गवई भी शामिल थे। हालाँकि, अदालत ने सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया।

महाराष्ट्र की राजनीति पर फैसला

महाराष्ट्र में जब उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुटों के बीच विवाद हुआ, तो राज्यपाल ने फ्लोर टेस्ट की मांग की। फ्लोर टेस्ट से पहले ही उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया, जिस पर काफी हंगामा हुआ। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की गई। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई करने वाली पीठों में जस्टिस गवई भी शामिल थे।

सेंट्रल विस्टा परियोजना

वर्ष 2019 में, केंद्र सरकार ने भारत के ‘पावर कॉरिडोर’ को एक नई पहचान देने के लिए एक पुनर्विकास परियोजना की घोषणा की। जिसका काफी विरोध भी हुआ। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि यह परियोजना किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं करती है। सेंट्रल विस्टा परियोजना को तीन न्यायाधीशों की पीठ ने मंजूरी दी थी जिसमें न्यायमूर्ति बी.आर. गवई भी शामिल थे।

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