Sawan 2025 Non Veg Prohibited: सावन का पवित्र महीना शुरू हो चुका है और इस साल यह 29 दिनों तक रहेगा। हिंदू धर्म में सावन को भगवान शिव को समर्पित सबसे शुभ महीनों में माना गया है, जैसे नवरात्रि के नौ दिन। यही वजह है कि इस दौरान पूजा-पाठ, खान-पान और जीवनशैली में संयम बरतने की सलाह दी जाती है। विशेषकर मांसाहार यानी नॉनवेज से परहेज करना बेहद जरूरी माना गया है। लेकिन आखिर इसकी वजह क्या है? चलिए जानते हैं कि इसके पीछे शास्त्र और विज्ञान दोनों क्या कहते हैं।
क्यों वर्जित है मांसाहार?
श्रावण माह को पूर्ण रूप से पवित्रता और शुद्धता से जोड़ा गया है। चूंकि यह भगवान शिव का प्रिय महीना होता है, इसलिए भक्त अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखकर ध्यान, जप और व्रत का पालन करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नॉनवेज एक तामसिक भोजन है, जो क्रोध, आलस्य, अहंकार और अज्ञानता जैसी प्रवृत्तियों को बढ़ाता है। ऐसे में व्यक्ति का मन पूजा-पाठ से भटक सकता है और ईश्वर से जुड़ाव टूट सकता है। इसके अलावा, सावन के दौरान बारिश अधिक होती है और ऐसे में मांसाहार पदार्थों में कीड़े-मकौड़े या सूक्ष्म जीव पनपने लगते हैं। इस आधार पर मांस का सेवन जीव हत्या के बराबर माना जाता है, जो धार्मिक दृष्टि से पाप की श्रेणी में आता है।
वैज्ञानिक कारण भी हैं खास
सिर्फ धर्म ही नहीं, विज्ञान भी इस परहेज की पुष्टि करता है। सावन यानी जुलाई-अगस्त के महीनों में बारिश के चलते वातावरण में नमी बढ़ जाती है, जिससे खाने की चीजों में फंगस और बैक्टीरिया जल्दी पनपते हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार इस मौसम में मांस जल्दी सड़ता है। जहां सामान्य तौर पर कोई मांसाहारी चीज 6 घंटे तक सुरक्षित रहती है, वहीं सावन में वह 4 घंटे में ही खराब हो सकती है। साथ ही इस समय पाचन शक्ति भी कमजोर होती है, और मांसाहार वैसे भी गरिष्ठ भोजन की श्रेणी में आता है। इसका सेवन अपच, एसिडिटी और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है। इसलिए वैज्ञानिक तौर पर भी यही सलाह दी जाती है कि सावन के महीने में हल्का, सादा और शाकाहारी भोजन ही लिया जाए।
न खाएं नॉन-वेज
इस प्रकार सावन में नॉनवेज खाना न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से अनुचित माना गया है, बल्कि वैज्ञानिक कारणों से भी यह स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। इसलिए बेहतर है कि श्रावण के इस पावन महीने में संयम, भक्ति और शुद्धता का पालन किया जाए।