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World Population Day: जनसंख्या की सुनामी! भारत सबसे आगे, अफ्रीका दे रहा चुनौती; जानिए क्या है इस दिन का महत्व

World Population Day: हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य दुनियाभर के लोगों का ध्यान बढ़ती जनसंख्या और उससे जुड़ी समस्याओं पर केंद्रित करना है। संयुक्त राष्ट्र ने पहली बार 1990 में इस दिन को आधिकारिक तौर पर मनाया था, लेकिन इसकी प्रेरणा 11 जुलाई 1987 को मिली थी जब विश्व की आबादी 5 अरब पहुंच गई थी।

By: Shivanshu S | Published: July 11, 2025 10:33:10 AM IST



World Population Day: हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य दुनियाभर के लोगों का ध्यान बढ़ती जनसंख्या और उससे जुड़ी समस्याओं पर केंद्रित करना है। संयुक्त राष्ट्र ने पहली बार 1990 में इस दिन को आधिकारिक तौर पर मनाया था, लेकिन इसकी प्रेरणा 11 जुलाई 1987 को मिली थी जब विश्व की आबादी 5 अरब पहुंच गई थी। 2025 में, दुनिया की कुल जनसंख्या का आंकड़ा 806 करोड़ से ऊपर पहुंच गया है। वर्ल्डोमीटर के अनुसार, भारत अब दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है, जबकि कांगो सबसे तेज जनसंख्या वृद्धि वाला देश बनकर उभरा है।

विश्व जनसंख्या दिवस 2025 थीम

विश्व जनसंख्या दिवस को हर साल एक नई और विशेष थीम के साथ मनाया जाता है। विश्व जनसंख्या दिवस 2025 की थीम युवा लोगों को एक निष्पक्ष और आशापूर्णा दुनिया में अपनी मनचाही फैमिली बनाने के लिए सशक्त बनाना है। 2024 में विश्व जनसंख्या दिवस की थीम थी “किसी को पीछे न छोड़ें, सभी की गिनती करें। ” उससे पहले 2023 में थी लैंगिक समानता की शक्ति को उजागर करना: हमारी दुनिया की अनंत संभावनाओं को अनलॉक करने के लिए महिलाओं और लड़कियों की आवाज़ को ऊपर उठाना।

विश्व के 10 सबसे ज्यादा आबादी वाले देश (2025 अनुमान)

वर्ल्डोमीटर के मुताबिक

क्रम देश     जनसंख्या
1   भारत    1,463,865,525
2     चीन     1,416,096,094
3   अमेरिका     347,275,807
4     इंडोनेशिया     285,721,236
5 पाकिस्तान     255,219,554
6 नाइजीरिया     237,527,782
7 ब्राजील     212,812,405
8 बांग्लादेश     175,686,899
9 रूस     143,997,393
10 इथियोपिया     135,472,051

जनसंख्या में बढ़ोतरी

2013 से 2023 के बीच कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य की जनसंख्या में 40% से अधिक वृद्धि देखी गई है। 2013 में वहां की आबादी लगभग 40 लाख थी, जो अब बढ़कर 65 लाख के करीब पहुंच गई है। यह दर्शाता है कि कुछ अफ्रीकी देशों में जनसंख्या विस्फोट की स्थिति तेजी से बन रही है।

इस दिन का महत्व

अब यह दिन सिर्फ बढ़ती जनसंख्या तक सीमित नहीं रहा। आज मातृ स्वास्थ्य, परिवार नियोजन, बाल कल्याण, और प्रजनन अधिकारों पर भी ज़ोर दिया जाता है। इसका उद्देश्य है लोगों को यह अधिकार देना कि वे अपनी ज़िंदगी और परिवार को लेकर स्वतंत्र निर्णय ले सकें। दुनिया एक ऐसे मोड़ पर खड़ी है जहां जनसंख्या नियंत्रण सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है। अगर समय रहते कदम न उठाए गए तो 2080 तक दुनिया की आबादी 1000 करोड़ के पार जा सकती है। भारत जैसे देशों को जनसंख्या के साथ-साथ संसाधनों के संतुलन पर भी ध्यान देना होगा।

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