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जगुआर क्रैश में देश ने खोया अपना जांबाज सिपाही, ऋषिराज की शहादत पर पूरे गांव में पसरा मातम

Fighter Jet Jaguar Crash: पाली जिले के वीर सपूत फ्लाइट लेफ्टिनेंट ऋषिराज सिंह बुधवार को चूरू में हुए वायुसेना के दुखद हादसे में शहीद हो गए।

By: Sohail Rahman | Published: July 10, 2025 12:47:59 PM IST



Fighter Jet Jaguar Crash: पाली जिले के वीर सपूत फ्लाइट लेफ्टिनेंट ऋषिराज सिंह बुधवार को चूरू में हुए वायुसेना के दुखद हादसे में शहीद हो गए। भारतीय वायुसेना का जगुआर लड़ाकू विमान नियमित प्रशिक्षण मिशन पर था, लेकिन उड़ान भरने के कुछ देर बाद ही तकनीकी खराबी के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गया। पूरा देश इस दुखद हादसे में जान गंवाने वाले दोनों पायलटों को भावभीनी श्रद्धांजलि दे रहा है और उनके परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त कर रहा है। हरियाणा के रोहतक निवासी स्क्वाड्रन लीडर लोकेंद्र सिंह सिंधु इस लड़ाकू विमान में पायलट थे, जबकि पाली के खिंवाड़ी सुमेरपुर निवासी ऋषिराज सिंह पायलट थे।

क्या करते हैं माता-पिता?

शहीद ऋषिराज सिंह देवड़ा के पिता जसवंत सिंह होटल व्यवसायी हैं, जबकि माता भंवर कंवर गृहिणी हैं। छोटा भाई युवराज सिंह जोधपुर के डीपीएस स्कूल में 12वीं में पढ़ रहा है। जानकारी के अनुसार, माता-पिता अपने लाडले बेटे की शादी के लिए लड़की ढूंढ रहे थे। जब परिवार को हादसे की खबर मिली तो मां का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। महिला परिजनों ने उन्हें सांत्वना दी। घटना के बाद पूरे जिले में शोक की लहर दौड़ गई है। शहीद का पार्थिव शरीर गुरुवार को जोधपुर एयरपोर्ट लाया जाएगा।

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12वीं के बाद NDA में चले गए

पाली डेयरी संघ के अध्यक्ष प्रताप सिंह बिठिया ने बताया कि ऋषिराज सिंह शुरू से ही पढ़ाई में होशियार थे और सेना में भर्ती होकर देश सेवा करने का जज्बा रखते थे। उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई जोधपुर से की। 12वीं पास करने के बाद वे पुणे चले गए और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी एनडीए में साढ़े तीन साल का कोर्स किया। इसके बाद वे भारतीय वायुसेना में भर्ती हुए और लड़ाकू विमान उड़ाने का प्रशिक्षण लेकर फाइटर पायलट बने।

बचपन से ही थे देशभक्त

ऋषिराज सिंह पाली के रहने वाले थे और बचपन से ही देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत थे। उन्होंने भारतीय वायुसेना में फ्लाइट लेफ्टिनेंट के रूप में अपनी सेवा शुरू की और कम समय में ही अपनी योग्यता और लगन से वरिष्ठ अधिकारियों का विश्वास जीत लिया। उनके सहकर्मी उन्हें एक साहसी, अनुशासित और देश के लिए हमेशा तत्पर रहने वाला अधिकारी मानते थे।

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