Guru Gobind Singh Jayanti: सिख धर्म के दसवें गुरु यानी गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती जिससे प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता है. उवकी जयंती पूरे भारत में धूमधाम के साथ मनाई जाती है. इतना ही नहीं, इस खास मौके पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा भी की जाती है, जिसकी वजह देश के अनके हिस्सों में स्कूल, कॉलेजों के साथ-साथ सबी सरकारी दफ्तर भी बंद रहेंगे.
छुट्टियों की वजह: बैंक और स्कूल
गुरु गोबिंद सिंह की जयंती के खास मौके पर छुट्टियों का फैसला प्रदेश सरकारों और केंद्र शासित राज्यों के कैलेंडर पर ही पूरी तरह से निर्भर करता है. पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और बिहार जैसे राज्यों में जहां सिख आबादी सबसे ज्यादा है या गुरु गोबिंद सिंह जी का ऐतिहासिक संबंध ज्यादा भी देखने को मिलता है. तो वहीं, दूसरी तरफ उनके जन्मस्थान पटना साहिब के कारण बिहार, वहां स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों में छुट्टी सबसे ज्यादा अनिवार्य है. इसके साथ ही अन्य प्रदेशों में प्रतिबंधित अवकाश (Restricted Holiday) की श्रेणी में भी हो सकता है.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की छुट्टियों की सूची के मुताबिक, गुरु गोबिंद सिंह की जयंती पर भारत के कई राज्यों में बैंक में छुट्टी देखने को मिलती है, इसके साथ ही बैंक में किसी भी तरह का कामकाज भी नहीं होता है. अगर आप बैंक से जुड़े किसी काम की योजना बना रहे हैं, तो नेट बैंकिग का इस्तेमाल करना या फिर पहले से ही बैंक की छुट्टी की सूची देखा लेना एक बार महत्वपूर्ण होता है.
आखिर क्या है जयंती का महत्व?
गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म साल 1666 में बिहार के पटना में हुआ था. जहां, उन्होंने ‘खालसा पंथ’ की स्थापना की और ‘पंच प्यारे’ की परंपरा की अनोखी शुरुआत की थी. इसके साथ ही उन्होंने सिखों को ‘पांच ककार’ (केश, कंगा, कड़ा, कचैरा और कृपाण) धारण करने का सख्त से सख्त आदेश दिया था. इसके अलावा उनका जीवन अन्याय और अत्याचार के खिलाफ था. इतना ही नहीं गुरु गोबिंद सिंह ने मुगलों के खिलाफ कई लड़ाइयां भी लड़ी थी और धर्म के साथ-साथ मानवता की रक्षा के लिए अपना पूरी जीवन न्योछावर कर दिया था. उनकी जयंती पर गुरुद्वारों में खास रूप से अरदास, कीर्तन और लंगर का आयोजन किया जाता है.
बलिदान और उनके प्रेम को किया जाता है याद
गुरु गोबिंद सिंह जयंती पर बैंक और स्कूल बंद होना केवल एक अवकाश नहीं है, बल्कि यह गुरु जी के बलिदान और उनके द्वारा दिखाए गए प्रेम, एकता और साहस के मार्ग को याद करने का एक सुनहरा अवसर भी है. श्रद्धालुओं के लिए यह दिन सेवा का होता है, वहीं आम जनता के लिए यह महापुरुष के जीवन से प्रेरणा लेने का खास दिन है.