Bill Gates And Simple Parenting: दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक बिल गेट्स ने अपने बच्चों की परवरिश बेहद ही साधारण तरीके से की है. सबसे अमीर व्यक्तियों की सूची में होने के बाद भी बिल गेट्स ने अपने तीनों बच्चों जेनिफर, रोरी और फोबे के लिए कई सख्त नियम बनाए हैं.
अपनी मेहनत से सफलता करें हासिल
बिल गेट्स का मानना है कि उन्होंने खुद बेहद ही मेहनत की है. जिसके बाद उन्होंने पूरी दुनिया में अपना नाम कामाया है. बिल गेट्स द्वारा अपने बच्चों को केवल ‘सरनेम’ के भरोसे न छोड़ने के पीछे का मुख्य उद्देश्य उन्हें आत्मनिर्भर (Self-reliant) और मेहनती बनाना था. वे चाहते थे कि उनके बच्चे अपनी मेहनत से ही सफलता हासिल करें. इसके साथ ही पैसे के अहंकार से दूर रहकर दूसरे लोगों की तरह सामान्य जीवन जीने की कोशिश करें. तीसरा और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण समाज में अपनी खुद की स्वतंत्र पहचान स्थापित करना भी सबसे ज्यादा मायने रखता है. बिल गेट्स का मानना है कि बच्चों को एक अच्छी शिक्षा और एक शुरुआत के लिए पर्याप्त साधन देना माता-पिता का कर्तव्य है, न कि उन्हें बिना मेहनत के अपार संपत्ति का मालिक बना देना.
अपनी पहचान खुद बनाने पर दें ध्यान
साथ ही उन्होंने बताया कि अगर उनके बच्चे हमेशा उनके “मशहूर सरनेम” और विरासत के साये में रहेंगे, तो वे कभी भी मेहनत नहीं कर सकेंगे और अपनी खुद की पहचान कभी नहीं बना पाएंगे. इसके साथ ही वे चाहते थे कि उनके बच्चे समाज में अपनी योग्यता, मेहनत के बल पर ही आगे जाएं न कि केवल इसलिए कि वे ‘गेट्स’ परिवार से ताल्लुक रखते हैं.
“सिल्वर स्पून” और संस्कृति से बचाव
गेट्स ने यह सुनिश्चित किया कि उनके बच्चों को विरासत में अरबों डॉलर न मिलें. इसके साथ ही उन्होंने अपनी संपत्ति का अधिकांश हिस्सा यानी लगभग 95 प्रतिशत से ज्यादा अपनी चैरिटी, ‘बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन’ को दान करने का फैसला लिया है. उनका मानना है कि बच्चों को बहुत ज्यादा पैसे देना उनके लिए नुकसानदेह भी हो सकता है, क्योंकि इससे उनकी मेहनत करने की इच्छा और कुछ हासिल करने का जुनून उनके अंदर से धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा.
सामान्य जीवन का क्या है अनुभव?
बिल गेट्स और उनकी पूर्व पत्नी मेलिंडा ने बच्चों को स्कूल भेजने और उनके उपनाम के इस्तेमाल को लेकर बहुत गोपनीयता बरती. इसके अलावा वे चाहते थे कि स्कूल में उन्हें एक ‘अमीर उत्तराधिकारी’ के बजाय एक ‘सामान्य छात्र’ के रूप में ही पढ़ाया जाए. इससे बच्चों को बिना किसी विशेष उपचार (Special Treatment) के वास्तविक दुनिया के अनुभवों को सीखने का एक सुनहरा मौका मिलेगा.
अनुशासन और तकनीक पर नियंत्रण
चोरी-छिपे उपनाम के इस्तेमाल से बचने के अलावा, गेट्स ने घर में तकनीक के इस्तेमाल पर भी कड़े नियम रखे थे. जिनमें उनके बच्चों को 14 साल की आयु तक मोबाइल फोन रखने की अनुमति नहीं थी. यह सब उन्हें एक जमीन से जुड़ा हुआ इंसान बनाने की प्रक्रिया का एक सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हिस्सा था.