Home > देश > Jaguar Fighter Jet: जो फाइटर जेट राजस्थान में फटा…वो कितना पावरफुल था? कारगिल में लेजर से कर डाला था कांड, नजरों के साथ ऐसे करता था धोखा

Jaguar Fighter Jet: जो फाइटर जेट राजस्थान में फटा…वो कितना पावरफुल था? कारगिल में लेजर से कर डाला था कांड, नजरों के साथ ऐसे करता था धोखा

Rajasthan Jaguar Plane Crash: 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध में वायुसेना ने मिशन 'सफेद सागर' को अंजाम दिया था। इस मिशन में जगुआर लड़ाकू विमानों ने कारगिल की ऊँची और दुर्गम पहाड़ियों में स्थित दुश्मन के बंकरों को निशाना बनाया था।

By: Shubahm Srivastava | Last Updated: July 9, 2025 5:26:42 PM IST



Rajasthan Jaguar Plane Crash: राजस्थान के चूरू जिले में मंगलवार (9 जुलाई 2025) सुबह भारतीय वायुसेना का एक जगुआर फाइटर जेट क्रेश हो गया है। इस हादसे के पीछे की वजह तकनीकी खराबी बताई जा रही है। क्रेश में पायलट की भी मौत की खबर है। पिछले 5 महीने में जगुआर का यह तीसरा क्रैश है। इस हादसे के बाद भारतीय वायुसेना के पुराने पढ़ गए विमानों पर सवाल उठ रहा है, जो फाइटर जेट क्रेश हुआ है वो जगुआर फाइटर जेट था। इसे वायुसेना के बेड़े में साल 1979 में शामिल किया गया था। 

जगुआर फाइटर जेट की बात करें तो ये जमीन पर हमला करने के लिए बनाया गया है। इसके अलावा इसे बहुद्देशीय यानी कई कामों में इस्तेमाल होने वाला विमान भी कहा जाता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इसका काम दुश्मन की जमीन पर बम गिराना, टारगेट पर सर्जिकल स्ट्राइक करना और युद्ध के मैदान में सैनिकों को एयर सपोर्ट देना होता है। इसे फ्रांस और ब्रिटेन की संयुक्त साझेदारी से तैयार किया गया था। इस फाइटर जेट ने कारगिल में भी अपनी ताकत दिखाई है।

वायुसेना में ‘शमशेर’ नाम से मशहूर

आपको बता दें कि जगुआर लड़ाकू विमान को भारत में ‘शमशेर’ नाम दिया गया था, जो इसकी आक्रामकता और शक्ति का प्रतीक है। इसका इस्तेमाल खासतौर पर दुश्मन के ज़मीनी ठिकानों पर निशाना साधने, बमबारी करने और रणनीतिक गहराई में घुसकर सटीक हमला करने के लिए किया जाता है। भारतीय वायुसेना में इसे बेहद मुश्किल हालातों में भी शानदार प्रदर्शन करने वाले जेट के तौर पर देखा जाता रहा है।

जगुआर की ताकत का अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि यह लड़ाकू विमान लगभग 1975 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से उड़ सकता है, यानी ध्वनि की गति से भी तेज़। इसके पंखों की क्षमता इतनी है कि यह हज़ारों किलो वज़न के बम और मिसाइलें लेकर उड़ सकता है।

इसके अलावा, यह बेहद कम ऊँचाई पर भी उड़ सकता है और दुश्मन के रडार से बचते हुए सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्रवाई को अंजाम दे सकता है। यही वजह है कि जगुआर को ‘साइलेंट किलर’ भी कहा जाता है।

कारगिल में PAK को चटाई थी धूल

जिन्हें नहीं पता, उन्हें बता दें कि 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध में वायुसेना ने मिशन ‘सफेद सागर’ को अंजाम दिया था। इस मिशन में जगुआर लड़ाकू विमानों ने कारगिल की ऊँची और दुर्गम पहाड़ियों में स्थित दुश्मन के बंकरों को निशाना बनाया था। लेज़र गाइडेड बमों से लैस इन विमानों ने उस युद्ध में न सिर्फ़ पाकिस्तानी ठिकानों को तबाह किया, बल्कि उनकी रणनीति को भी नाकाम कर दिया। यही वो पल थे जब जगुआर ने अपने युद्ध कौशल से साबित कर दिया कि भारतीय वायुसेना में उसे ख़ास जगह क्यों मिली है।

भारतीय वायुसेना अब धीरे-धीरे आधुनिक फाइटर जेट्स की ओर बढ़ रही है. राफेल, तेजस, और आने वाले AMCA जैसे विमान आने वाले वर्षों में जगुआर जैसे विमानों की जगह लेंगे। लेकिन जगुआर लड़ाकू विमान का नाम हमेशा गर्व से लिया जाएगा।

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