Home > धर्म > रातों-रात काली शक्तियों ने खड़ा किया महादेव का ये अनोखा मंदिर, इस मासूम ने खुद अपनी आंखों से देखा वो मंजर, सुनकर निकल जाएगी चीख!

रातों-रात काली शक्तियों ने खड़ा किया महादेव का ये अनोखा मंदिर, इस मासूम ने खुद अपनी आंखों से देखा वो मंजर, सुनकर निकल जाएगी चीख!

Kakanmath Temple Mystery: भारत के ऐतिहासिक और रहस्यमयी मंदिरों की सूची में एक अनोखा नाम शामिल है, ककनमठ मंदिर। यह मंदिर न केवल अपनी अद्भुत वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इससे जुड़ी रहस्यमयी कथाएं भी लोगों को आकर्षित करती हैं।

By: Yogita Tyagi | Published: July 9, 2025 12:19:00 PM IST



Kakanmath Temple Mystery: भारत के ऐतिहासिक और रहस्यमयी मंदिरों की सूची में एक अनोखा नाम शामिल है, ककनमठ मंदिर। यह मंदिर न केवल अपनी अद्भुत वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इससे जुड़ी रहस्यमयी कथाएं भी लोगों को आकर्षित करती हैं। कहा जाता है कि इस शिव मंदिर का निर्माण एक ही रात में भूतों ने किया था, हालांकि सुबह होने से पहले वे निर्माण अधूरा छोड़ गए। मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के सिहोनियां कस्बे से लगभग दो किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर शिव भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है। समुद्र तल से लगभग 115 फुट की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर दूर से ही नजर आता है। हालांकि मंदिर अब खंडहर की स्थिति में है, लेकिन इसकी भव्यता और रहस्यमय इतिहास आज भी लोगों को हैरान करता है। हालाँकि, इस जगह की कुछ स्थानीय मान्यताओं के मुताबिक, ककनमठ मंदिर का निर्माण कच्छपघात वंश के एक राजा ने भगवान शिव की भक्ति में करवाया था। राजा ने स्वयं भगवान शिव से इस मंदिर के निर्माण के लिए प्रार्थना की थी। भगवान शिव राजा के स्वप्न में आए और कहा कि वे एक रात में इस मंदिर का निर्माण करेंगे, लेकिन इस शर्त पर कि कोई भी मनुष्य इस निर्माण प्रक्रिया को न देखे। टीओआई में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, राजा ने पूरे गाँव को आदेश दिया कि उस रात कोई भी अपने घर से बाहर न निकले। रात में मंदिर निर्माण की आवाजें सुनाई दीं, लेकिन किसी ने बाहर झांकने की हिम्मत नहीं की। हालाँकि, एक जिज्ञासु बालक ने खिड़की से बाहर झाँका, जिसके कारण निर्माण कार्य कर रहे अलौकिक प्राणी अदृश्य हो गए और मंदिर अधूरा रह गया।

किसने कराया मंदिर का निर्माण? 

एक मान्यता के अनुसार , इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में कछवाहा वंश के राजा कीर्ति राज ने करवाया था। कहा जाता है कि उनकी पत्नी रानी ककनावती भगवान शिव की परम भक्त थीं, जिसके चलते मंदिर का नाम ‘ककनमठ’ रखा गया। हालांकि समय के साथ मंदिर को प्राकृतिक आपदाओं और विदेशी आक्रमणों का सामना करना पड़ा, जिससे कई मूर्तियां और संरचनाएं टूट गईं। आज भी मंदिर परिसर में कई खंडित मूर्तियां और टूटे हुए स्तंभ जमीन पर बिखरे नजर आते हैं। मंदिर के मुख्य गर्भगृह तक पहुंचने के लिए कुछ सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। मंदिर में प्रवेश करते ही दोनों ओर खंभों की श्रृंखला दिखाई देती है, जो इसकी वास्तुकला की बेजोड़ कारीगरी का प्रमाण देती है। गर्भगृह में विराजमान शिवलिंग के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आते हैं, बावजूद इसके कि मंदिर अब अपनी पूरी अवस्था में नहीं है।

मंदिर का क्या है भूतों से कनेक्शन? 

एक खास बात यह है कि इस मंदिर के कई अवशेषों को ग्वालियर के एक संग्रहालय में संरक्षित किया गया है। इससे इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता का अनुमान लगाया जा सकता है। मंदिर को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा उस कथा की होती है जिसमें कहा जाता है कि इसका निर्माण एक रात में भूतों ने मिलकर किया था। हालांकि इसका कोई ठोस ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है, फिर भी स्थानीय लोगों और पर्यटकों के बीच यह मान्यता गहराई से जुड़ी हुई है। मंदिर की अधूरी अवस्था और रहस्यमयी खामोशी इस कथा को और भी दिलचस्प बना देती है। ककनमठ मंदिर आज भी अपने ऐतिहासिक, धार्मिक और रहस्यमय पहलुओं की वजह से चर्चा में बना हुआ है। यह न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक पूजनीय स्थल है, बल्कि इतिहास और रहस्य में रुचि रखने वालों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है।

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