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Explainer: कच्ची घानी vs रिफाइंड vs ब्लेंडेड कौन सा तेल है आपके लिए बेस्ट, क्यों कहलाता है सरसों का तेल ‘कच्ची घानी’?

सेहत, स्वाद और परंपरा के मामले में कच्चा सरसों का तेल बेहतर है. रिफाइंड सरसों का तेल न्यूट्रल होता है और ज़्यादा गर्मी सह सकता है. आइए जानें कि आपके लिए कौन सा तेल बेहतर है?

By: Anshika thakur | Published: December 4, 2025 1:30:40 PM IST



Oil Benefits: हर कुक सोचता है कि मुझे अपनी किचन में कच्चा तेल इस्तेमाल करना चाहिए या साधारण रिफाइंड सरसों का तेल? यह चॉइस सिर्फ़ आपके तड़के का स्वाद ही नहीं बदलती. यह आपकी हेल्थ, कुकिंग स्टाइल, बजट और छोटे बिज़नेस की संभावनाओं पर भी असर डालती है. कच्चा सरसों का तेल बीजों को 45°C से कम तापमान पर कोल्ड-प्रेस करके बनाया जाता है, इसलिए इसमें ओमेगा-3s, एंटीऑक्सीडेंट और दिल के लिए हेल्दी मोनोअनसैचुरेटेड फैट बने रहते हैं. इसकी तेज़, मिर्च जैसी खुशबू तड़के, अचार और सलाद के लिए एकदम सही है, और यह खराब LDL कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करती है. दूसरी ओर, रिफाइंड सरसों का तेल तेज़ गर्मी और सॉल्वैंट्स का इस्तेमाल करके निकाला जाता है. यह डीप-फ्राइंग के लिए एक न्यूट्रल स्वाद और ज़्यादा स्मोक पॉइंट देता है, लेकिन इसकी ज़्यादातर न्यूट्रिशनल वैल्यू खत्म हो जाती है.

कच्ची घानी, रिफाइंड और ब्लेंडेड सरसों के तेल को कैसे पहचानें और इनमें क्या फर्क है?

कच्ची घानी

  • पारंपरिक लकड़ी के क्रशर (घानी) का इस्तेमाल करके कोल्ड-प्रेस्ड.
  • 100% नेचुरल, कोई केमिकल नहीं.
  • गहरा पीला/भूरा, तीखा स्वाद, सरसों की तेज़ खुशबू.
  • ओमेगा-3s, विटामिन E और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर.

रिफाइंड

  • केमिकल सॉल्वेंट + ज़्यादा गर्मी + रिफाइनिंग प्रोसेस.
  • केमिकल और ज़्यादा तापमान इसकी खासियतें खत्म कर देते हैं.
  • हल्का पीला, बहुत फीका/बेस्वाद, कोई खुशबू नहीं
  • ज़्यादातर न्यूट्रिएंट्स खत्म हो जाते हैं.

ब्लेंडेड तेल 

  • दो या दो से ज़्यादा रिफाइंड तेलों को मिलाकर बनाया गया.
  • थोड़ा नेचुरल, ज़्यादातर रिफाइंड ब्लेंड.
  • हल्का रंग, हल्का स्वाद, बहुत कम खुशबू.
  • बहुत कम या कोई न्यूट्रिएंट्स नहीं.

आपके लिए कौन सा सबसे ज़्यादा फ़ायदेमंद है?

तीन तरह के तेल, कच्ची घानी, रिफाइंड और ब्लेंडेड में से सिर्फ़ कच्ची घानी ही 100% नेचुरल है. यह कच्ची घानी सरसों का तेल पुराने लकड़ी के क्रशर में दबाकर निकाला जाता है. इसमें कोई केमिकल, कोई गर्मी और कोई रिफाइनिंग इस्तेमाल नहीं होती, जिससे तेल का असली स्वाद, खुशबू और पोषक तत्व बने रहते हैं. दूसरी ओर, रिफाइंड तेल ज़्यादा गर्मी से बनता है, जिससे इसके नेचुरल गुण खत्म हो जाते हैं. ब्लेंडेड तेल सरसों के तेल को दूसरे सस्ते तेलों के साथ मिलाते हैं, जिससे वे कम शुद्ध और नेचुरल हो जाते हैं.

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हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार कौन सा तेल सबसे ज़्यादा फ़ायदेमंद है?

हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, कच्चा सरसों का तेल फायदेमंद माना जाता है. इसमें सबसे ज़्यादा नैचुरल MUFA और PUFA (हेल्दी फैट) होता है. इसमें ओमेगा-3 और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं. यह सूजन कम करने में भी मदद करता है. सरसों का तेल इम्यूनिटी और स्किन के लिए भी अच्छा माना जाता है.डॉ. शिखा शर्मा (आयुर्वेदिक न्यूट्रिशनिस्ट), डॉ. दीक्षा भावसार, डॉ. रंजन सिंह (AIIMS कार्डियोलॉजिस्ट), मिनिस्ट्री ऑफ़ आयुष और FSSAI का भी कहना है कि कच्चा सरसों का तेल दूसरे तेलों के मुकाबले हेल्थ के लिए ज़्यादा बेहतर है.

  • कच्चे सरसों तेल खाने के क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं?
  • सरसों के तेल का तीखा स्वाद हर किसी को पसंद नहीं आता.
  • सरसों के तेल में तेज़ गंध होती है.
  • सरसों का तेल रिफाइंड तेल की तुलना में जल्दी एक्सपायर हो जाता है.
  • शुद्ध कच्चे तेल की कीमत 200–350 रुपये प्रति लीटर होती है.
  • सरसों के तेल में 40–50% इरुसिक एसिड होता है, जिसे दिल के लिए नुकसानदायक माना जाता है.

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