Russian Weapon Supply: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का आगामी 4–5 दिसंबर को भारत का दौरा रणनीतिक, राजनीतिक और सैन्य दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है. उनकी यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ा हुआ है, विशेषकर तब से जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत पर टैरिफ और व्यापार से जुड़े कड़े कदम उठाए.
ऐसे माहौल में पुतिन का भारत आना केवल औपचारिक शिखर सम्मेलन भर नहीं है, बल्कि यह उन पुराने सामरिक साझेदारों—भारत और रूस—के बीच नए विश्वास, सैन्य सहयोग और भू.राजनीतिक संतुलन को भी प्रकट करता है.
कई मुद्दों पर बातचीत होने की संभावना
इस यात्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पुतिन के बीच रक्षा खरीद से लेकर ऊर्जा, अंतरिक्ष, व्यापार, साइबर सुरक्षा, खुफिया सहयोग और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे कई मुद्दों पर बातचीत होने की संभावना है. सुरक्षा मामलों के जानकारों के अनुसार कुछ महत्वपूर्ण समझौते भी इस दौरान सामने आ सकते हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल पहले ही इस यात्रा के महत्व पर प्रकाश डाल चुके हैं.
पुतिन की इस यात्रा के बहाने रूस की वैश्विक हथियार नीति, हथियारों के निर्यात और उसकी रक्षा.उद्योग क्षमता को समझना भी आवश्यक है, क्योंकि रूस दुनिया के सबसे बड़े हथियार सप्लायरों में लगातार शीर्ष तीन देशों में रहा है. सोवियत काल से लेकर आज तक रूस ने न केवल अपने लिए प्रबल सैन्य ढाँचा तैयार किया है, बल्कि उसने एशिया, अफ्रीका, मध्य पूर्व और लैटिन अमेरिका में अपनी हथियार आपूर्ति को एक मजबूत कूटनीतिक उपकरण के रूप में स्थापित किया है.
रूस कितने देशों को हथियार सप्लाई करता है?
अंतरराष्ट्रीय रक्षा विश्लेषण संस्थानों—जैसे SIPRI (स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट)—के आंकड़ों के अनुसार पिछले बीस वर्षों में रूस ने दुनिया के 50 से अधिक देशों को हथियार निर्यात किए हैं. उसकी निर्यात सूची विविध और भौगोलिक रूप से व्यापक है.
रूस के प्रमुख ग्राहक देशों में शामिल हैं:
.भारत (लंबे समय से रूस का सबसे बड़ा रक्षा ग्राहक)
.चीन
.वियतनाम
.अल्जीरिया
.मिस्र
.सीरिया
.ईरान
.इंडोनेशिया
.इथियोपिया
.और कई लैटिन अमेरिकी देश—जैसे वेनेजुएला, ब्राजील तथा पेरू.
रूस की रक्षा नीति का एक प्रमुख उद्देश्य है—सैन्य सहयोग के माध्यम से राजनीतिक प्रभाव बढ़ाना. हथियार सप्लाई न केवल सैन्य संबंध को मजबूत करता है बल्कि दीर्घकालीन तकनीकी सहायता, प्रशिक्षण, स्पेयर पार्ट्स और संयुक्त उत्पादन जैसी निर्भरता भी बढ़ाता है.
रूस किस तरह के हथियार बनाता और बेचता है?
रूस का सैन्य उद्योग सोवियत संघ की विरासत पर आधारित है. वह दुनिया में सबसे विविध श्रेणी के हथियार बनाने वाले देशों में से एक है. उसके प्रमुख उत्पाद हैं:
फाइटर जेट और एयर डिफेंस सिस्टम
.Su.30, Su.35 और अब Su.57 जैसे उन्नत लड़ाकू विमान
.MiG.29 और MiG.35
.प्रसिद्ध S.300 और S.400 एयर डिफेंस सिस्टम, जिनकी वैश्विक मांग अत्यधिक है
भारत ने रूस से S.400 सिस्टम की बड़ी खरीद की थी, जिससे भारत.रूस रक्षा साझेदारी और गहरी हुई.
टैंक और बख्तरबंद वाहन
रूस के T.72, T.80 और T.90 दुनिया के सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले टैंकों में गिने जाते हैं. कई देशों की सेना अपने बख्तरबंद बल का रीढ़ इन्हीं टैंकों को मानती है.
मिसाइल और रॉकेट सिस्टम
.इस्कंदर (Iskander) बैलिस्टिक मिसाइल
.क्रूज़ मिसाइलें
.मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर (MRLS)
रूस के मिसाइल सिस्टम अपनी सटीकता और लागत.प्रभावशीलता के लिए प्रसिद्ध हैं.
हेलिकॉप्टर
.Mi.17
.Ka.52
.Mi.35
ये हेलिकॉप्टर एशियाई और अफ्रीकी देशों में अपनी मजबूती और क्षमता के लिए विशेष रूप से लोकप्रिय हैं.
नौसेना के हथियार
.पनडुब्बियाँ
.फ्रिगेट
.कॉर्बेट
रूस विश्व के सबसे बड़े पनडुब्बी निर्माताओं में से है. भारत की नौसेना में रूस निर्मित और रूस.पार्टनरशिप के तहत बनी कई पनडुब्बियाँ और युद्धपोत तैनात हैं.
छोटे हथियार
AK.47 और AK.203 जैसे हथियार वैश्विक स्तर पर अत्यधिक लोकप्रिय हैं. कई देशों में रूसी असॉल्ट राइफलों की भारी मांग है.
ये हथियार कितने हाइटेक?
रूस का सैन्य उद्योग तकनीकी रूप से अत्याधुनिक है, लेकिन उसकी सबसे बड़ी ताकत है—हाइब्रिड मॉडल. रूस के हथियार तकनीकी क्षमता और लागत दोनों में संतुलन रखते हैं. यह उन्हें कई विकासशील देशों के लिए आदर्श विकल्प बनाता है.
रूस के हथियारों की प्रमुख विशेषताएँ:
.कठिन इलाकों में बेहतर प्रदर्शन
.सीमित रखरखाव में भी लंबे समय तक उपयोग
.प्रतिकूल जलवायु में उच्च विश्वसनीयता
.लागत के मुकाबले अधिक मारक क्षमता
.वर्षों तक आसानी से उपलब्ध रहने वाले स्पेयर पार्ट्स
इस व्यावहारिकता के कारण ही रूस के सिस्टम अमेरिकी या यूरोपीय हथियारों की तुलना में कई देशों के लिए ज्यादा आकर्षक माने जाते हैं.
रूस–भारत रक्षा साझेदारी-एक ऐतिहासिक रिश्ता
भारत और रूस का रक्षा सहयोग 1950 के दशक से शुरू हुआ और यह साझेदारी आज भी भारत की सैन्य क्षमता का मूल आधार है. भारत के लगभग 60–70% सैन्य उपकरण किसी न किसी रूप में रूसी डिज़ाइन पर आधारित हैं.
प्रमुख क्षेत्र:
.ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल (संयुक्त परियोजना)
.लड़ाकू विमान—Su.30 MKI
.T.90 टैंक
.परमाणु पनडुब्बी (INS Chakra लीज पर)
.S.400 एयर डिफेंस सिस्टम
.MI.17 हेलिकॉप्टर
रूस केवल हथियार बेचने तक सीमित नहीं रहता, बल्कि भारत के साथ संयुक्त उत्पादन और तकनीक साझा करने में भी आगे रहा है.
पुतिन की यात्रा का महत्व
भारत अमेरिका, रूस और यूरोप—तीनों से संबंध बनाए रखता है. अमेरिकी दबाव के बावजूद रूस से S.400 खरीद भारत के रणनीतिक स्वायत्तता को संकेत देती है. रूस भारत के लिए एक बड़ा ऊर्जा पार्टनर बन सकता है—तेल, गैस और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्रों में.रक्षा तकनीक और भविष्य की डीलें भारत अगली पीढ़ी के लड़ाकू विमानों, पनडुब्बियों और मिसाइल सिस्टम में निवेश करना चाहता है. रूस इनमें महत्वपूर्ण विकल्प है.
यूक्रेन संघर्ष, चीन का बढ़ता प्रभाव और पश्चिमी देशों के दबाव के बीच रूस अपने एशियाई साझेदारों पर और निर्भर हो रहा है. भारत इस समीकरण में एक प्रमुख शक्ति है.
रूसी राष्ट्रपति का भारत दौरा
रूसी राष्ट्रपति पुतिन का भारत दौरा केवल एक राजनैतिक शिष्टाचार नहीं, बल्कि दो पुरानी महाशक्तियों के रिश्तों की निरंतरता, भरोसे और सामरिक ग्रहणशीलता का प्रतीक है. यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब वैश्विक शक्ति.संतुलन तेजी से बदल रहा है और हथियारों की राजनीति फिर से अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का मूल केंद्र बन रही है.
रूस दुनिया के सबसे बड़े हथियार सप्लायरों में प्रमुख स्थान बनाए हुए है. उसकी सैन्य तकनीक लागत, विश्वसनीयता और क्षमता के संतुलन के कारण दुनिया भर के देशों के लिए आकर्षक बनी हुई है. भारत–रूस रक्षा साझेदारी न केवल ऐतिहासिक है बल्कि आज भी भारत की सामरिक मजबूती का मुख्य स्तंभ है.
इस व्यापक पृष्ठभूमि में पुतिन की भारत यात्रा आने वाले वर्षों में रक्षा सहयोग, ऊर्जा सहभागिता और आर्थिक रणनीति को और गहरा करने वाली साबित हो सकती है.
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