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Bhaum Pradosh Vrat 2025: 2 या 3 दिसंबर कब रखा जाएगा भौम प्रदोष व्रत? जानें सही डेट और पूजा विधि

Bhaum Pradosh Vrat 2025: साल 2025 का मार्गशीर्ष माह (अगहन) धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. ये माह भगवान शिव को समर्पित है. त्रयोदशी तिथि पर रखा जाने वाला प्रदोष व्रत भगवान भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए बहुत शुभ माना जाता है. तो आइए जानते हैं इसकी सही तिथि के बारे में विस्तार से.

By: Shivi Bajpai | Published: November 30, 2025 10:10:02 AM IST



Bhaum Pradosh Vrat 2025 Date: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का खास महत्व है. यह व्रत भगवान शिव की कृपा पाने के लिए रखा जाता है. हर महीने की शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है, लेकिन जब यह तिथि मंगलवार को पड़ती है तो इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है. भौम यानी मंगलवार, और इस दिन किया गया शिव-पूजन बहुत फलदायी माना जाता है. ये व्रत 2 दिसंबर को रखा जाएगा.

भौम प्रदोष व्रत कब है? (When is Bhaum Pradosh Vrat 2025)

हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का समय इस प्रकार है.

त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ: 2 दिसंबर 2025 (मंगलवार) को दोपहर 3 बजकर 57 मिनट पर.

त्रयोदशी तिथि का समापन: 3 दिसंबर 2025 (बुधवार) को दोपहर 12 बजकर 25 मिनट पर.

प्रदोष व्रत की पूजा हमेशा प्रदोष काल में ही की जाती है. प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद और रात्रि से पहले का समय होता है. चूंकि त्रयोदशी तिथि 2 दिसंबर की शाम को प्रदोष काल में व्याप्त रहेगी, इसलिए भौम प्रदोष व्रत 2 दिसंबर 2025 (मंगलवार) को ही रखा जाएगा.

भौम प्रदोष व्रत की पूजा विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें. व्रत का संकल्प लें. पूजा के लिए बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल, अक्षत, धूप, दीपक और मिष्ठान तैयार रखें. प्रदोष काल के समय स्नान करें और हाथ पैर धोकर शुद्ध हो जाएं. एक चौकी पर भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करें.

सबसे पहले शिवलिंग पर गंगाजल और कच्चे दूध से अभिषेक करें. शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, भांग आदि अर्पित करें. इसके बाद ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें. प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें या सुनें. आखिर में भगवान शिव की आरती करें और सभी में प्रसाद वितरित करें.

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भौम प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व (Significance of Bhaum Pradosh Vrat)

जब प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन पड़ता है तो इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जता है. भौमशब्द मंगल ग्रह से संबंधित है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को रखने और भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को रोगों से मुक्ति मिलती है और शरीर स्वस्थ्य रहता है. जिन लोगों की कुंडली में मंगल दोष होता है, उन्हें इस व्रत को करने से विशेष लाभ मिलता है.

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Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है. पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें. Inkhabar इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है.

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