प्यार की कोई सीमा नहीं होती यह किसी देश या संस्कृति तक सीमित नहीं है. ऐसा ही एक अनोखा प्यार देखने को मिला ऑस्ट्रेलिया की पेंटर टेसा और बिहार के साइंटिस्ट केतन के बीच. अंतरराष्ट्रीय परंपरा और भारतीय संस्कृति के इस खूबसूरत संगम की कहानी शादी के पवित्र बंधन में बदल गई. जानिए कैसे मिली यह जोड़ी और शादी के बंधन में बंध गए.
दअसल नवादा डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट रंजीत कुमार पटेल के बेटे और जिले के मशहूर वकील मदन प्रसाद के पोते केतन पटेल अभी ऑस्ट्रेलिया की एडिलेड यूनिवर्सिटी में केमिस्ट्री के रिसर्च साइंटिस्ट हैं और हाइड्रोजन पर रिसर्च कर रहे हैं. टेसा बार्थोलोम्यू एक मशहूर ऑस्ट्रेलियन पेंटर हैं जिनकी पेंटिंग कई बड़े इंटरनेशनल इवेंट्स में दिखाई जा चुकी हैं और आपको बता दें कि कला के प्रति उनकी संवेदनशीलता और भारतीय संस्कृति के प्रति जुनून ने उन्हें भारत खींचा है.
केतन और टेसा बताते हैं, “मुझे भारतीय संस्कृति से लगाव है.” टेसा कहती हैं कि भारतीय संस्कृति उन्हें बहुत पसंद है. उन्हें यहां के लोगों का गर्मजोशी से भरा और मिलनसार स्वभाव खास तौर पर पसंद है. उन्होंने कहा, “केतन बहुत अच्छे इंसान हैं और मैं उनसे बहुत प्यार करती हूँ.” वे ऑस्ट्रेलिया में एक कल्चरल इवेंट के दौरान मिले थे, और उनकी दोस्ती प्यार में बदल गई, इसका उन्हें पता भी नहीं चला. केतन पटेल ने कहा कि भले ही उनकी लाइफस्टाइल विदेशी है, लेकिन उन्हें इंडियन कल्चर से गहरा लगाव है, इसलिए उन्होंने इंडियन रीति-रिवाजों से शादी की.
ऑस्ट्रेलिया से आया परिवार शादी में शामिल हुआ
केतन पटेल के परिवार के अलावा, ऑस्ट्रेलियन टेसा का परिवार भी शादी की रस्म में शामिल हुआ। टेसा के पिता, जॉन बार्थोलोम्यू, जो पहले बर्गहेम शील्ड लीग में काउंटी क्रिकेट खेलते थे और बाद में ऑस्ट्रेलियन सरकार के लिए मार्केटिंग ट्रेनर के तौर पर काम करते थे, भी शामिल हुए। टेसा की माँ, कैरोलीन, बहन लिन्सी कीरेट टूटेल, जीजा डैन जॉन टूटेल, और उनके बच्चे, पूरे ऑस्ट्रेलियन ग्रुप के साथ इंडिया पहुंचे. दोनों कल्चर के इस खूबसूरत फ्यूज़न को लेकर वेन्यू पर खास उत्साह था।
एक ट्रेडिशनल शादी की रस्म
“द्वार पूजा” के बाद, टेसा की माँ और बहन ने “गल सेकाई” समारोह किया. इसके बाद, दूल्हा और दुल्हन ने खूबसूरत “वरमाला” समारोह के दौरान एक-दूसरे को मालाएँ पहनाईं. परंपरा के अनुसार, केतन ने टेसा के माथे पर सिंदूर लगाया. समारोह में मौजूद लोगों ने पश्चिमी कला और भारतीय वैज्ञानिक परंपरा के इस अनोखे मेल को प्यार और संस्कृति का एक खूबसूरत उदाहरण बताया.