Dharmendra Political Career Facts: बॉलीवुड के वेटरन स्टार धर्मेंद्र का 24 नवंबर को 89 साल की उम्र में निधन हो गया. धर्मेंद्र ने तकरीबन 300 फिल्मों में काम कर अपने फैंस के दिलों में खास जगह बनाई लेकिन वो उन स्टार्स में भी शामिल हैं जिन्होंने राजनीति में भी कदम रखा. कैसा रहा धर्मेंद्र का राजनीतिक सफर? चलिए आपको बताते हैं.
2004 में ज्वाइन की थी BJP
2004 में बीजेपी के शाइनिंग इंडिया मोमेंट से प्रभावित होकर धर्मेंद्र ने राजनीति में आने का फैसला किया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक्टर शत्रुघ्न सिन्हा ने तब उनकी मुलाकात बीजेपी के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी से करवाई और उनका पार्टी से जुड़ना तय हो गया. बीजेपी ने फिर 2004 के लोकसभा चुनाव में धर्मेंद्र को राजस्थान के बीकानेर से टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा. धर्मेंद्र ने अपने स्टारडम के बलबूते कांग्रेस के रामेश्वर लाल डूडी को 60 हजार वोटों से हरा दिया और संसद भवन पहुंचे.

BJP ज्वाइन करने पर आया मुस्लिम महिला का फोन और…
धर्मेंद्र का एक पुराना इंटरव्यू वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने राजनीति में उतरने के लिए बीजेपी को ही चुनने की वजह बताई थी. 2006 में दिए इस इंटरव्यू में धरमजी ने एक किस्सा शेयर करते हुए बताया था कि जब उन्होंने बीजेपी ज्वाइन करने का मन बनाया तो क्या हुआ था? धर्मेंद्र ने कहा था, मुझे एक मुस्लिम बहन ने फोन करके बड़े प्यार से कहा कि धर्मेंद्र जी आप बीजेपी में क्यों जा रहे हो? मेरे दिल को भी लगा कि ये जो कह रही हैं तब मुझे ख्याल आया कि ये पार्टी केवल हिंदुओं की है तो मैंने उनसे कहा कि मैं आपका नुमाइंदा बनकर जा रहा हूं, मुसलमान भाइयों का नुमाइंदा बनकर जा रहा हूं. मेरे जैसा सेक्युलर.. जो कि अपने आपको हिंदुस्तान का सबसे बड़ा सेक्युलर कहता हो…सबसे बड़ा सेक्युलर मैं हूं, मैं किसी एक धर्म को नहीं मानता, मैं मानवता में विश्वास करता हूं.
अटल बिहारी वाजपेयी से थी करीबी
धर्मेंद्र को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के करीब माना जाता था. दोनों की बॉन्डिंग राजनीति से हटकर एक पर्सनल गहरी दोस्ती जैसी थी. वाजपेयी जी उनकी फिल्मों के मुरीद थे. धर्मेंद्र ने एक इंटरव्यू में राजनीति में आने का श्रेय अटलजी को ही दिया था. उन्होंने कहा था, मैं राजनीति में नहीं आना चाहता था.क्योंकि मैं बहुत ही जज्बाती इंसान हूं और ऐसे लोगों के लिए राजनीति नहीं है. लेकिन शायद अटलजी को मैं अच्छा इंसान लगता था. इसलिए उन्होंने पॉलिटिक्स में मेरी एंट्री कराई.

2004–2009 तक बीकानेर से सांसद रहे धर्मेंद्र
धर्मेंद्र 2004 से 2009 तक बीकानेर से सांसद रहे. कुछ समय तक वह बीकानेर में काफी एक्टिव रहे, बीकानेर के विकास कार्यों में भी हिस्सा लिया लेकिन धीरे-धीरे उनकी सक्रियता राजनीति में कम होती चली गई. संसद सत्र के दौरान वह ज्यादातर समय तक गायब रहे. कभी वह फिल्म की शूटिंग में बिजी रहते या कभी अपने फार्महाउस पर बिताते देखे जाते. इससे धर्मेंद्र का राजनितिक सफर आलोचनाओं का शिकार हो गया. यही वजह रही कि सांसद के तौर पर एक कार्यकाल के बाद उन्होंने 15वें लोकसभा चुनावों में बीजेपी से दोबारा टिकट नहीं मांगा और राजनीति से मोह भंग होने के बाद कभी दोबारा चुनाव नहीं लड़ा.
राजनीति में घुटन होती थी: धर्मेंद्र
राजनीति से तौबा करने पर धर्मेंद्र ने 2008 में एक इंटरव्यू में कहा था, मैं ये नहीं कहूंगा कि राजनीति में आकर मैंने कोई गलती की थी लेकिन हां, एक एक्टर को पॉलिटिक्स में नहीं आना चाहिए क्योंकि ये ऑडियंस और फैंस के बीच आम सहमति में विभाजन पैदा होता है. एक एक्टर को हमेशा एक्टर ही रहना चाहिए. एक अन्य इंटरव्यू में धर्मेंद्र ने भी कहा था कि राजनीति में उनका दम घुटता था. मुझे भावनात्मक रूप से इस क्षेत्र में घसीटा गया था. जिस दिन मैंने हामी भरी, मैं वाशरूम में गया और शीशे में अपना सिर पटककर अपने किए पर पछतावा किया. राजनीति ऐसी चीज़ है जो मैं कभी नहीं करना चाहता था.मैंने अपने निर्वाचन क्षेत्र बीकानेर के लोगों के लिए जितना काम किया है, उतना आज तक किसी ने नहीं किया.

धर्मेंद्र ने राजनीति से बनाई दूरी लेकिन हेमा ने संभाली विरासत
धर्मेंद्र ने तो 2009 के बाद राजनीति से पूरी तरह से दूरी बना ली मगर उनकी दूसरी पत्नी हेमा मालिनी ने राजनीति में उनकी विरासत को आगे बढ़ाया. 2014 में हेमा ने बीजेपी ज्वाइन की और पार्टी ने उन्हें मथुरा से लोकसभा चुनाव में टिकट दिया. तब से हेमा अपने संसदीय क्षेत्र मथुरा(उत्तर प्रदेश) से लगातार सांसद हैं. वहीं धर्मेंद्र के बेटे सनी देओल भी राजनीति में सक्रिय हैं. सनी को बीजेपी ने 2019 में गुरदासपुर, पंजाब से लोकसभा चुनाव में टिकट दिया था. सनी अपने स्टारडम के बदौलत जीत हासिल करने में सफल रहे. पिता की तरह 2024 आते-आते सनी का भी राजनीति से मोहभंग हो गया और 2024 लोकसभा चुनावों में उन्होंने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया.

किसे मिलेगी धर्मेंद्र की पेंशन?
धर्मेंद्र 2004 से 2009 तक भारतीय जनता पार्टी से लोकसभा सांसद रहे हैं. ऐसे में उनके निधन के बाद उनकी सांसदी की पेंशन पहली पत्नी प्रकाश कौर या दूसरी पत्नी हेमा मालिनी में से किसे मिलेगी? इस बात पर काफी कयास लगाए जा रहे हैं. पेंशन नियमों के अनुसार, किसी पूर्व सांसद की पेंशन पर उसी पत्नी का अधिकार क़ानूनी तौर पर मान्य माना जाता है जिसकी शादी क़ानूनी तौर पर वैध हो. धर्मेंद्र ने अपनी पत्नी प्रकाश कौर को तलाक दिए बिना हेमा से दूसरी शादी की थी. ऐसे में हिंदू अधिनियम 1955 के तहत, पहली पत्नी से बिना तलाक लिए और उसके जीवित रहते हुए दूसरी शादी क़ानूनी तौर पर अवैध मानी जाती है. इस वजह से धर्मेंद्र की सांसदी पेंशन की हक़दार उनकी पहली पत्नी प्रकाश कौर ही होंगी.