Benefits Of Giving Roti To Cow: हिंदू धर्म में कई परंपराएं सदियों से चली आ रही हैं, जिनका वैज्ञानिक, आध्यात्मिक और ज्योतिषीय महत्व भी होता है। ऐसी ही एक परंपरा है, रसोई में बनी पहली रोटी गाय को और आखिरी रोटी कुत्ते को खिलाने की। यह प्रथा सिर्फ आस्था नहीं, बल्कि मान्यताओं और ग्रह दोषों से मुक्ति के उपाय से भी जुड़ी हुई है। मान्यता है कि गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। इसलिए जब किसी घर में बनी पहली रोटी उसे खिलाई जाती है, तो यह सभी देवी-देवताओं को भोग लगाने के समान फलदायी मानी जाती है। इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
आखिरी रोटी कुत्ते को खिलाने की परंपरा भी गहरी
दूसरी ओर, आखिरी रोटी कुत्ते को खिलाने की परंपरा भी गहरी मान्यता से जुड़ी है। कुत्ते को काल भैरव का वाहन और शनि व केतु ग्रहों का प्रतीक माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुत्ते को रोटी खिलाने से शनि, राहु और केतु जैसे ग्रहों की अशुभता दूर होती है। इससे जीवन में आ रही बाधाएं कम होती हैं और पितृ दोष का प्रभाव भी शांत होता है। धार्मिक रूप से यह भी माना जाता है कि कुत्ते को रोटी देने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है। खासकर वे लोग जो शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या राहु-केतु के प्रभाव से परेशान हैं, उनके लिए यह परंपरा विशेष फलदायी मानी गई है।
यह परंपरा जीवों के प्रति करुणा का भाव
वास्तव में यह परंपरा हमें न सिर्फ धर्म से जोड़ती है, बल्कि जीवों के प्रति करुणा, दया और सेवा का भाव भी विकसित करती है। जब कोई व्यक्ति अपनी रोटी का हिस्सा किसी अन्य जीव के साथ साझा करता है, तो वह निस्वार्थता और त्याग का भाव भी अपनाता है। यही भाव मनुष्य को मानसिक शांति और आध्यात्मिक संतुलन प्रदान करता है।