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बच्चों के पैरों में प्लास्टिक कचरा! क्रॉक्स के प्लास्टिक कचरा होने का चौंकाने वाला आरोप; Video देख उड़ जाएंगे होश

Recycled Plastic Claim: सोसल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर क्रॉक्स को लेकर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वो रीसाइकल्ड प्लास्टिक कचरे से बनाए जाते हैं.

By: Shubahm Srivastava | Published: November 19, 2025 10:59:32 PM IST



Crocs Controversy: फैशन ट्रेंड में क्रॉक्स जूते आज बच्चों से लेकर बड़ों तक में बेहद लोकप्रिय हैं. हल्के, रंगीन और आरामदायक होने के चलते ये हर उम्र के लोगों की पसंद बन चुके हैं. लेकिन सोशल मीडिया पर एक चौंकाने वाला दावा वायरल हो रहा है, जिसमें कहा जा रहा है कि बड़ी संख्या में क्रॉक्स रीसाइकल्ड प्लास्टिक कचरे से बनाए जाते हैं.

स्वच्छ रीसाइक्लिंग से नहीं बल्कि प्लास्टिक से बन रहे क्रॉक्स!

दावे के अनुसार, इन जूतों में इस्तेमाल होने वाला प्लास्टिक “स्वच्छ रीसाइक्लिंग” से नहीं, बल्कि टूटे खिलौनों, पुरानी बाल्टियों, औद्योगिक कचरे और लैंडफिल से लिए गए प्लास्टिक को पिघलाकर तैयार किया जाता है. इसका एक वीडियो भी सामने आया है. आरोप यह भी है कि इस प्रक्रिया में प्लास्टिक गर्म होने पर रसायन छोड़ सकता है, जो बच्चों के पैरों के जरिए त्वचा में अवशोषित हो सकते हैं.

वायरल पोस्ट में माता-पिता को आगाह करते हुए कहा गया है कि बच्चों के पसीने से भीगे पैरों के जरिए ये रसायन शरीर में प्रवेश कर सकते हैं और इससे संवेदनशीलता, त्वचा रोग, व्यवहार परिवर्तन जैसी समस्याएँ बढ़ सकती हैं.

हालांकि इन दावों की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है और विशेषज्ञ लगातार यह कहते रहे हैं कि ऐसे दावों को वैज्ञानिक प्रमाणों के बिना सच मानना सही नहीं है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी प्रोडक्ट को “हानिकारक” बताने के लिए वैज्ञानिक अध्ययन और जांच जरूरी होती है.

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इंस्टाग्राम पर वायरल हो रहा वीडियो

इंस्टाग्राम पर @toxins_in_children नाम के यूजर ने ये वीडियो शेयर किया है. वायरल पोस्ट में यह भी कहा गया कि कई कंपनियाँ अपने उत्पादों की सामग्री से जुड़े विवरण साझा नहीं करतीं और माता-पिता अक्सर इस पर सवाल नहीं उठाते. इसी कारण, पोस्ट करने वाले व्यक्ति ने इस मुद्दे पर खुलकर बात करने की अपील की है, ताकि माता-पिता को पता चल सके कि उनके बच्चे हर दिन किन चीज़ों के संपर्क में आ रहे हैं.

बच्चों के लिए हानिकारक 

पोस्ट में आगे यह दावा भी किया गया कि बच्चों का शरीर पहले से ही कई तरह के पर्यावरणीय रसायनों के संपर्क में होता है और ऐसे में डिटॉक्स जरूरी हो जाता है. उन्होंने एक “खनिज-आधारित डिटॉक्स” का भी जिक्र किया, जिसे वे रोजाना इस्तेमाल करने का दावा करते हैं. यह खबर वायरल दावों पर आधारित है. Inkhabar इस वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है. 

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