UP SIR News Update: उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) नवदीप रिणवा ने मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए चल रही एसआईआर (Statewide Intensive Revision) प्रक्रिया और गणना प्रपत्र भरने से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं. उन्होंने स्पष्ट किया कि जिन लोगों के नाम दो जगह—जैसे पुश्तैनी गांव और शहर—दोनों स्थानों की मतदाता सूची में दर्ज हैं, वे केवल वहीं से गणना प्रपत्र भरें जहाँ वर्तमान मतदाता सूची में उनका नाम मौजूद है.
मतदाता सूची 27 अक्टूबर को फ्रीज की जा चुकी है, इसलिए उसी आधार पर फॉर्म भरा जाए. यदि कोई व्यक्ति यूपी का निवासी है लेकिन वर्तमान में दूसरे राज्य में वोटर के रूप में पंजीकृत है, तो वह यूपी में गणना प्रपत्र नहीं भरे, ताकि दोहरी प्रविष्टियों को हटाने की प्रक्रिया सटीक रहे.यदि कोई ऐसा करता है तो उसे जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 31 के तहत एक वर्ष तक की कैद या जुर्माने की सजा हो सकती है.
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इस प्रकार भरा जा सकता है गणना फॉर्म
गणना प्रपत्र में ऊपर का हिस्सा मतदाता के फोटो, माता-पिता के नाम और मोबाइल नंबर से संबंधित है. नीचे के हिस्से में वर्ष 2003 की एसआईआर सूची से सम्बंधित जानकारी भरनी है. यदि मतदाता 2003 में खुद सूची में पंजीकृत था, तो वह बाएँ हिस्से में अपनी जानकारी दर्ज करेगा.
यदि उस समय नाम नहीं था, तो माता-पिता, दादा-दादी या नाना-नानी में से किसी एक की 2003 की जानकारी दर्ज की जाएगी. वर्ष 2003 की मतदाता सूची ऑनलाइन voters.eci.gov.in पर उपलब्ध है और इसे ECI Net ऐप से भी देखा जा सकता है.
चार दिसंबर तक बीएलओ घर-घर जाकर गणना प्रपत्र भरवाएंगे. यूपी में 15.44 करोड़ मतदाताओं में से लगभग 70% के नाम या उनके माता-पिता के नाम 2003 की सूची में दर्ज हैं, जिनकी वर्तमान सूची से मैपिंग जारी है और इसमें 50% कार्य पूर्ण हो चुका है.
ऑनलाइन भी भर सकते हैं फॉर्म
ऑनलाइन फॉर्म भरने के लिए आधार लिंक मोबाइल नंबर आवश्यक है क्योंकि ई-साइन के लिए ओटीपी उसी नंबर पर भेजा जाएगा. ऑफलाइन फॉर्म में आधार वैकल्पिक है. अब तक 70 हजार लोग ऑनलाइन गणना प्रपत्र भर चुके हैं.
“बुक अ कॉल विद बीएलओ” सुविधा भी उपलब्ध
शिकायतों के समाधान के लिए “बुक अ कॉल विद बीएलओ” सुविधा उपलब्ध है. यदि बीएलओ 48 घंटे में प्रतिक्रिया नहीं देते, तो मतदाता 1950 पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं. चार दिसंबर तक केवल फॉर्म जमा करना है, कोई दस्तावेज नहीं देना. नौ दिसंबर को ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी होगी, और यदि नाम अनुपस्थित है तो दावे-आपत्तियां 31 दिसंबर तक दर्ज की जा सकती हैं. इस दौरान पासपोर्ट, जन्म प्रमाणपत्र, निवास प्रमाण आदि 13 में से कोई भी एक दस्तावेज मान्य होगा.
सीईओ ने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची में नाम न होने से नागरिकता पर कोई असर नहीं पड़ेगा. एसआईआर केवल शुद्ध और त्रुटिरहित मतदाता सूची तैयार करने के उद्देश्य से की जा रही है.
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